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सप्ताह यज्ञ विधि वर्णन।। सप्ताह यज्ञ के नियम।।

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श्रीमद्भागवद पुराण महात्मय का छटवाँ आध्यय [मंगला चरण] सनत्कुमार बोले कि अब हम सप्ताह श्रवण करने की विधि तुम्हारे सामने वर्णन करते हैं यह सप्ताह विधि प्रायः सहायता और धन से साध्य कही है। प्रथम पण्डित को बुलाय मुहूर्त पूछकर मंडप रचना करे। भाद्रपद, आश्विन, कार्तिक, मार्गशिर्ष आषाढ़ श्रावण के छः महीने कथा आरम्भ करने में सर्वश्रेष्ठ हैं, क्योकिंये छ: महीने श्रोताओं को मोक्ष के प्रतीक हैं। जो महीनों के विग्रह है, अर्थात भद्रा, दग्धयोग, व्यतिपात, वैधृति उत्पातावियोग इन निन्दित दिनों को परित्याग कर दे। देश देश में खबर भेजकर यह बात प्रकट कर देखें कि यहाँ कथा होगी आप सब लोग कुटुम्ब सहित आकर यज्ञ को सुशोभित करें। जो कोई हरि कथा से दूर हैं ऐसे पुरुष स्त्री शूद्र आदिकों को भी जिस प्रकार बोध हो जाय सो काम करना चाहिए। कथा श्रवण करने का स्थान तीर्थ पर हो अथवा बन में हो, किंवा घर में वाला स्थान हो, जहाँ सैकड़ों मनुष्य सुख पूर्वक बैठकर कथा सुन सकें । उस स्थान को जल से मार्जन करें। बुहारी से बुहार, गोबर से लीप देवै, फिर गेरू आदि से चित्रित करें। फिर पाँच दिन पहले से बड़े-बड़े आसन लायके रक्खे, और कदली के