المشاركات

عرض الرسائل ذات التصنيف Jambudvipa

भारत के विभिन्न जगहों में भगवान का विस्तृत पूजन विधि [भाग २]

  श्रीमद भागवद पुराण उन्नीसवाँ अध्याय * स्कंध६ भारत वर्ष का श्रेष्टत्व वर्णन दो: हो भारत देश महान है, कहुँ सकल प्रस्तार। या उन्नाव अध्याय में, वर्णित कियौ विचार।। श्री शुकदेव जी बोले-हे राजा परीक्षित! इसी प्रकार किम्पुरुष खंड में श्री रामचंद्र जी विराजमान हैं । उनके चरणों की सेवा हनुमान जी करते हैं और अनेक प्रकार से गुणों का बखान करके पूजा किया करते हैं। इसी प्रकार भारत खंड में नर नारायण भगवान देवता स्वरूप बद्रिकाश्रम में विराजमान हैं, और नारद जी इन भगवान की उपासना करते हैं । श्री शुकदेव जी परीक्षित से कहते हैं-हे राजन ! कितने एक विद्वान इस जंबू द्वीप के आठ उपखंड भी कहते हैं। उनका मत है कि जब राजा सगर के साठ हजार पुत्र यज्ञ के घोड़े को ढूंढ़ने निकले तो उन्होंने इस पृथ्वी को चारों ओर से खोदा था, सो उसके कारण यह आठ उपद्वीप हुये जिनके नाम १-स्वर्णप्रस्थ, २-चन्द्रप्रस्थ, ३-आवर्तन, ४-रमणक, ५-मंद हरिण, ६-पांचजन्य, ७-सिंहल, ८-लंका ये हैं। Also read @ https://shrimadbhagwadmahapuran.blogspot.com/2020/08/blog-post_24.html

सम्पूर्ण पृथ्वी खण्ड के भूगोल का वर्णन व सुमेरू पर्वत।।

صورة
 श्रीमद भागवद पुराण सोलहवां अध्याय (भुवन कोस वर्णन ) स्कंध ५ दो०-भुवन कोस वर्णन कियो, श्री शुकदेव सुनाय । सुनत परीक्षत भूप जिम सोलवें अध्याय ।। राजा प्रिय व्रत द्वारा पृथ्वी के सात खंडो की रचना। श्री शुकदेव जी द्वारा इतनी कथा सुनकर राजा परीक्षित ने कहा-हे मुने ! आपने सूक्ष्म रूप में यह बात कही कि राजा प्रियबत के रथ चक्र से पृथ्वी के अलग-प्रयोग द्वेष बने तथा समुद्रों की रचना हुई। सो कृपा करके इन सब का वर्णन बिस्तार पूर्वक सुनाया। तब श्री शुकदेव जी बोले-हे परीक्षित ! यदि कोई मनुष्य देवताओं के समान आयुवाला हों तो भी वह नारायण के इस अगम भेद को जानने में समर्थ नहीं हो सकता है । अतः  हम तुम्हारे सामने नाम, रूप, लक्षण, के द्वारा पृथ्वी के भूगोल का वर्णन करेंगे।  यह भूमण्डल कमल कोष के समान गोल एक लाख १००००० योजना वाले विस्तार का है। इस जम्बू द्वीप में नौ खण्ड हैं जो प्रत्येक नौ-नौ हजार योजन विस्तार वाले हैं। जिनका विभाग आठ पर्वतों के द्वारा किया हुआ है। इन नौ खण्डों के बीचों बीच में इलावृत नाम का खण्ड है। जिसके बीचों बीच में सुमेरु नाम का पर्वत जो कि१००००० एक लाख योजन ऊँचा है, जो कि शिखर में