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सौगंध मुझे इस मिट्टी की मैं देश नहीं मिटने दूंगा।।

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सौगंध मुझे इस मिट्टी की मैं देश नहीं मिटने दूंगा मैं देश नहीं मिटने दूंगा मैं देश नहीं झुकने दूंगा मेरी धरती मुझ से पूछ रही कब मेरा क़र्ज़ चुकाओगे मेरा अम्बर मुझ से पूछ रहा कब अपना धर्म निभाओगे मैंने वचन दिया भारत मां को तेरा शीश नहीं झुकने दूंगा सौगंध मुझे इस मिट्टी की मैं देश नहीं मिटने दूंगा मैं देश नहीं झुकने दूंगा वो लूट रहे हैं सपनो को मैं चैन से कैसे सो जाऊं वो बेच रहे हैं भारत को खामोश मैं कैसे हो जाऊं हाँ मैंने कसम उठाई है हाँ मैंने कसम उठाई है मैं देश नहीं बिकने दूंगा सौगंध मुझे इस मिट्टी की मैं देश नहीं मिटने दूंगा मैं देश नहीं मिटने दूंगा मैं देश नहीं झुकने दूंगा वो जितने अँधेरे लायेंगे मैं उतने उजाले लाऊँगा वो जितनी रात बढाएंगे मैं उतने सूरज उगाऊँगा इस छल फरेब की आंधी में मैं दीप नहीं बुझने दूंगा सौगंध मुझे इस मिट्टी की मैं देश नहीं मिटने दूंगा मैं देश नहीं मिटने दूंगा मैं देश नहीं झुकने दूंगा वो चाहते हैं जागे न कोई बस रात का कारोबार चले वो नशा बांटते जायें और देश यूँही बीमार चले पर ज