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सम्पूर्ण पृथ्वी खण्ड के भूगोल का वर्णन व सुमेरू पर्वत।।

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 श्रीमद भागवद पुराण सोलहवां अध्याय (भुवन कोस वर्णन ) स्कंध ५ दो०-भुवन कोस वर्णन कियो, श्री शुकदेव सुनाय । सुनत परीक्षत भूप जिम सोलवें अध्याय ।। राजा प्रिय व्रत द्वारा पृथ्वी के सात खंडो की रचना। श्री शुकदेव जी द्वारा इतनी कथा सुनकर राजा परीक्षित ने कहा-हे मुने ! आपने सूक्ष्म रूप में यह बात कही कि राजा प्रियबत के रथ चक्र से पृथ्वी के अलग-प्रयोग द्वेष बने तथा समुद्रों की रचना हुई। सो कृपा करके इन सब का वर्णन बिस्तार पूर्वक सुनाया। तब श्री शुकदेव जी बोले-हे परीक्षित ! यदि कोई मनुष्य देवताओं के समान आयुवाला हों तो भी वह नारायण के इस अगम भेद को जानने में समर्थ नहीं हो सकता है । अतः  हम तुम्हारे सामने नाम, रूप, लक्षण, के द्वारा पृथ्वी के भूगोल का वर्णन करेंगे।  यह भूमण्डल कमल कोष के समान गोल एक लाख १००००० योजना वाले विस्तार का है। इस जम्बू द्वीप में नौ खण्ड हैं जो प्रत्येक नौ-नौ हजार योजन विस्तार वाले हैं। जिनका विभाग आठ पर्वतों के द्वारा किया हुआ है। इन नौ खण्डों के बीचों बीच में इलावृत नाम का खण्ड है। जिसके बीचों बीच में सुमेरु नाम का पर्वत जो कि१००००० एक लाख योजन ऊँचा है, जो कि शिखर में