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KNOW YOUR YOGA NATURE.Yoga and its benefits. YOGA MUDRAS BENEFITS

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योग मुद्राएँ और उनके लाभ|  योग केवल शरीर को मोड़ने या कठिन आसन करने से अधिक है। योग में कई अन्य प्राचीन प्रथाएं भी शामिल हैं। आज हम उनमें से एक पर चर्चा करेंगे: मुद्रा, एक प्राचीन तकनीक जिसे हम प्राणायाम और ध्यान के दौरान उपयोग करते हैं। मुद्रा एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है "इशारा" या "दृष्टिकोण"। मानसिक, भावनात्मक, आध्यात्मिक, और कलात्मक इशारे या दृष्टिकोण सभी मुद्राओं के उदाहरण हैं। प्राचीन योगियों ने मुद्राओं को ऊर्जा के प्रवाह को व्यक्ति की प्राणिक शक्ति से ब्रह्मांडीय या कॉस्मिक शक्ति से जोड़ने के लिए निर्धारित किया था। मुद्राएँ एक सूक्ष्म शारीरिक गतिविधियों का समूह हैं जो किसी के मूड, दृष्टिकोण, या परिप्रेक्ष्य को बदल सकती हैं। ये एकाग्रता और सजगता बढ़ाने में मदद करती हैं। एक मुद्रा एक साधारण हाथ की स्थिति हो सकती है या यह पूरे शरीर को आसन, प्राणायाम, बंधा, और दृश्यीकरण विधियों के संयोजन में शामिल कर सकती है। मुद्राएँ उच्च अनुष्ठान हैं जो प्राण, चक्र, और कुंडलिनी को जागृत करने में मदद करती हैं। यह कोशास के भीतर प्राणिक संतुलन को पुनः स्थापित

श्रीमद भगवद पुराण बत्तीसवा अध्याय[सांख्य योग]

श्रीमद भगवद पुराण बत्तीसवा अध्याय  (अर्धव गति एवं प्रकृति का वर्णन ) दो०-पुरुष सुकर्म सुधर्म से होय सत्व गुण प्राप्त । सो बत्तीस अध्याय में कही कथा कर प्राप्त।। श्री कपिलदेव जी भगवान बोले-हे माता ! जो कोई गृहस्थी में रहकर गृहस्थ धर्म का आचरण करता है, वह उन धर्मों से फल चाहता हुआ अनुष्ठान करता हैं। वह भगवान के विमुख कामनाओं में यज्ञ आदि करके तथा श्रद्धा पूर्वक देवताओं का पूजा करता है । वह चंद्रमा के लोक को प्राप्त होकर अमृत पान करके वापस फिर पृथ्वी पर आकर जन्म लेता है, क्योंकि जिस समय नारायण भगवान अपनी शेष शय्या पर शयन करते है उस समय सकाम कर्म करने वाले गृहस्थियों के सब लोक नाश हो जाते हैं। जो पुरुष काम व कार्य के लिये अपने धर्म का फल नहीं मांगते हैं, और संग रहित व परमेश्वरार्पण निष्काम कर्म करते हैं, वे लोग सूर्य लोक के द्वारा परमेश्वर को प्राप्त हो जाते हैं, और जो लोग ब्रह्म को ईश्वर जान कर उपासना करते हैं, वे लोग वृम्हा जी के लोक में महा प्रलय पर्यन्त निवास करते हैं। जब बृम्हा जी अपनी १०० वर्ष की आयु को भोग कर जगत को लय करने की इच्छा से परश्मेवर में लीन होते हैं, उसी समय वैरागी योगी