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KNOW YOUR YOGA NATURE.Yoga and its benefits. YOGA MUDRAS BENEFITS

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योग मुद्राएँ और उनके लाभ|  योग केवल शरीर को मोड़ने या कठिन आसन करने से अधिक है। योग में कई अन्य प्राचीन प्रथाएं भी शामिल हैं। आज हम उनमें से एक पर चर्चा करेंगे: मुद्रा, एक प्राचीन तकनीक जिसे हम प्राणायाम और ध्यान के दौरान उपयोग करते हैं। मुद्रा एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है "इशारा" या "दृष्टिकोण"। मानसिक, भावनात्मक, आध्यात्मिक, और कलात्मक इशारे या दृष्टिकोण सभी मुद्राओं के उदाहरण हैं। प्राचीन योगियों ने मुद्राओं को ऊर्जा के प्रवाह को व्यक्ति की प्राणिक शक्ति से ब्रह्मांडीय या कॉस्मिक शक्ति से जोड़ने के लिए निर्धारित किया था। मुद्राएँ एक सूक्ष्म शारीरिक गतिविधियों का समूह हैं जो किसी के मूड, दृष्टिकोण, या परिप्रेक्ष्य को बदल सकती हैं। ये एकाग्रता और सजगता बढ़ाने में मदद करती हैं। एक मुद्रा एक साधारण हाथ की स्थिति हो सकती है या यह पूरे शरीर को आसन, प्राणायाम, बंधा, और दृश्यीकरण विधियों के संयोजन में शामिल कर सकती है। मुद्राएँ उच्च अनुष्ठान हैं जो प्राण, चक्र, और कुंडलिनी को जागृत करने में मदद करती हैं। यह कोशास के भीतर प्राणिक संतुलन को पुनः स्थापित ...

ऐसा मंदिर जहां सूर्य की किरणें बताती हैं हिंदू वर्ष का महीना, क्या है रहस्य?

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ऐसा मंदिर जहां सूर्य की किरणें बताती हैं हिंदू वर्ष का महीना, क्या है रहस्य?  इस मंदिर में बारह खंभे हैं, जिन पर सुबह सूर्य की किरणें पड़ती हैं, विद्याशंकर मंदिर चिकमंगलूर, कर्नाटक। इस मंदिर के 12 स्तंभों पर सूर्य चिन्ह बने हुए हैं। हर दिन जब सूर्य की किरणें प्रवेश करती हैं, तो वे वर्ष के महीने का संकेत देने वाले एक ही विशेष स्तंभ से टकराती हैं। लेकिन इसमें रहस्य यह है कि हिंदू वर्ष के अनुसार जो महीना चलता है, वही संख्या होती है। मंदिर के स्तंभ पर सूर्य की किरणें पड़ती रहती हैं और जैसे ही महीना बदलता है, अगले एक महीने तक सूर्य की किरणें बगल के स्तंभ पर पड़ती हैं। ओह, अविश्वसनीय ज्ञान जो आज भी एक रहस्य बना हुआ है। ऐसी अनोखी अद्भुत सटीक इंजीनियरिंग का प्रयोग करने वाले हमारे पूर्वजों के बारे में हमें कभी कुछ नहीं सिखाया गया। चूंकि वह बहुत विद्वान थे. बल्कि वो जो हमारे देश को लूटने आये थे. हमें ऐसी किताबें पढ़ाई गईं जो "आक्रमणकारियों की प्रशंसा करती हैं" जिन्होंने हमारे ऐसे महान वास्तुकला से भरे हजारों मंदिरों को ध्वस्त कर दिया।  Preserving the most prestigious, सब वेदों का सार, ...

वयं पुरोहिता राष्ट्रं जाग्रयामः #hinduism #sanatana #sarv_dharma_brahma

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स्वामी सूर्यदेव जी की वॉल से वयं पुरोहिता राष्ट्रं जाग्रयामः हम पुरोहित हैं,, हम #राष्ट्रदेव को जागृत रखते हैं,, कोई भी राष्ट्र जागृत रहता है उसमें रहने वाली प्रजा से,, वह सोई पड़ी है वह मूढ़ है वह स्वार्थों में घिरी है,,तो आज नहीं कल राष्ट्र भी विपत्तियों में घिर जाएगा,, वेदमन्त्र है--संशितं म इदं ब्रह्म संशितं वीर्यम बलम l संशितं क्षत्रमजरमस्तु जिष्णुर्योंषामस्मि पुरोहित:--३-१९-१ #अथर्ववेद,,--मेरा ज्ञान अत्यंत तीक्ष्ण है,, शत्रुदमन शक्ति और स्वरक्षणबल भी तीक्ष्ण है यानी offensive & defensive system,,, जिन लोगों का मुझ जैसा जयशील अगुआ है,, उन्हें मार्ग दिखाने वाला है,, उनका खुद का यानी मेरे यजमान का भी सामर्थ्य न दबने वाला यानी उग्र यानी आक्रामक यानी #शीलयुक्त प्रतिकार करने का बल उनमें भी होगा ही होगा,, पुरोहित का अर्थ होता है अगुआ,,मार्गदर्शक,, ऐसा मार्ग बताने वाला जो सिर्फ तुम्हारे हित की सोचता है हमेशा,, सदैव तुम्हारा हित चाहता है,,   #वैदिक काल में ऐसे ही #पुरोहित होते थे,, वेदमन्त्र में पुरोहित ललकार कर कह रहा है कि मेरे होते मेरे यजमानों का #पराभव,, पराजय असम्भव है,, ...

थाली में क्यों नहीं परोसी जाती हैं 3 रोटियां?इसके पीछे कि क्या वजह है आइए आपको बताते हैं।

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थाली में क्यों नहीं परोसी जाती हैं 3 रोटियां? पढ़ लेंगे तो अबसे नहीं करेंगे ये काम थाली में या तो हम 2 रोटी परोसते हैं या फिर 4, तीन रोटी नहीं परोसी जाती है। इसके पीछे कि क्या वजह है आइए आपको बताते हैं। अक्सर आपने घर के बड़े-बुजुर्गों को कहते सुना होगा कि प्लेट में तीन रोटी मत रखो। कभी भी प्रसाद में तीन फल, तीन मिठाई भी नहीं रखी जाती है। आखिर इसका क्या कारण है? हिंदू धर्म में कई तरह की मान्यताएं हैं, पूजा-पाठ से लेकर खाने-पीने और उठने-बैठने तक हर चीज का एक नियम एक कायदा होता है, जो हमारी संस्कृति में है और हमें अपने बुजुर्गों से सुनने को मिलता है। कई चीजें शुभ होती हैं और कई चीजें अशुभ। ऐसे ही 3 को शुभ नहीं माना जाता है। थाली में या तो हम 2 रोटी परोसते हैं या फिर 4, तीन रोटी नहीं परोसी जाती है। इसके पीछे कि क्या वजह है आइए आपको बताते हैं। मान्यता है कि थाली में 3 रोटी रखना यानी कि मृतक का भोज लगाना। आपने देखा होगा कि त्रयोदशी संस्कार में जब थाली लगाई जाती...