व्यास मुनि का नारद में सन्तोष होना और भागवत बनाना आरम्भ करना
الحصول على الرابط
Facebook
Twitter
Pinterest
بريد إلكتروني
التطبيقات الأخرى
श्रीमद्भागवद पुराण महात्मय का चतुर्थ आध्यय [स्कंध १]
दोहा: जिमि भागवद पुराण को रच्यो व्यास मुनि राब।
सो चौथे अध्याय में कही कथा समझाया।
शौनक जी कहने लगे-हे उत्तम वक्ता ! हे महाभागी जोकि शुकदेव भगवान जी ने कहा है उस पुष्प पवित्र शुभ भागवत की कथा को आप हमारे आगे कहिये।
भागवद कथा किस युग में
फिर शुकदेव तो ब्रह्म योगीश्वर, समदृष्टि वाले, निर्विकल्पएकान्त में रहने वाले हस्तिनापुर कैसे चले गये और राजऋषि परीक्षित का इस मुनि के साथ ऐसा सम्वाद कैसे हो गया कि जहाँ यह भागवत पुराण सुनाया गया ? क्योंकि वह शुकदेव मुनितो गृहस्थीजनों के घर में केवल गौ दोहन मात्र तक यानी जितनी देरी में गौ का दूध निकल जावे इतनी ही देर तक उसगृहस्थाश्रम को पवित्र करने को ठहरते थे। हे सूतजी? अभिमन्यु के पुत्र परीक्षित राजा को उत्तम भक्त कहते हैं । इसलिये परीक्षित जन्म कर्म हमको सुनाइये । पांडवों के मान को बढ़ाने वाला वहचक्रवर्ती परीक्षित राजा अपने सम्पूर्ण राज्य के ऐश्वर्य को त्याग,मरना ठान कर गङ्गाजी के तट पर किस कारण से बैठा? सूतजी कहने लगे-हे ऋषीश्वरों!
भागवद कथा किस युग में
द्वापर युग के तीसरे परिवर्तनके अन्त में पाराशर ऋषि के संयोग से बीसवी स्त्री में हरि की कला करके व्यासजी उत्पन्न हुए।
और व्यास
वेदव्यासजी एक समय सरस्वतीनदी के पवित्र जल से स्नानादि करके सूर्योदय के समय एकान्तजगह में अकेले बैठे हुए थे। उस समय पूर्वाऽपर जो जाननेवाले वेदव्यास ऋषि ने कलियुग को पृथ्वी पर आया हुआ जानकर और तिस कलियुग के प्रभाव से शरीरादिकों को छोटे देखकर, तथा सब प्राणियोंको शक्तिको हीन हुई देखकर औरश्रद्धा रहित, धीरज रहित, मन्द बुद्धि वाले, स्वल्प आयु वाले,दरिद्री, ऐसे जीव को दिव्य दृष्टि से देख कर और सम्पूर्ण वर्णाश्रमों के हित को चिन्तवन कर वेदके चार भाग कर डाले।ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद ऐसे चार नामों वाले वेदों कोबनाया फिर इतिहास पुराण यह पाँचवाँ वेद बनाया। तब उनमें वे ऋग्वेद के जाननेवाले पैल ऋषि हुए, जैमिनि पंडितसामवेद के जानने वाले हुए वैशम्पायन मुनि यजुर्वेद में निपुण हुए । अथर्ववेद को पढ़े हुए उत्तम अंगारिस गोत्र के मुनियों में सुमन्त मुनि अत्यन्त निपुण हुए। इतिहास पुराणों को जाननेबाले मेरे पिता रोमहर्षण हुए, इसी प्रकार इन सब ऋषियों नेअपने-अपने शिष्यों को इन्हें पड़ाया। फिर उन शिष्यों ने अन्य शिष्यों को पढ़ाया। ऐसे उन वेदों की शिष्य प्रशिष्य द्वारा अनेकशाखा फैलती गई । वेदव्यास जी ने एक वेद के चार वेद इसनिमित्त से किये थे कि जिसमें स्वल्प वृद्धि वाले पुरुषों द्वारा भीवेद धारण किये जावें, तदनन्तर वेदव्यासजी ने विचार किया किस्त्री, शूद्र और ओछी जात वाले जनों को वेद पढ़ने का अधिकार नहीं है, वेद पठन श्रवणाधिकार के होने से उनसे शुभ कर्म नहीं बन सकेगा। इससे वेदों का सार कोई ऐसा पुराण बनानाचाहिये जिससे श्रवणाधिकार होने से शूद्रादिकों का भी कल्याणहो, ऐसा विचार करके महाभारत अख्यान बताया।
फिर शुकदेव तो ब्रह्म योगीश्वर, समदृष्टि वाले, निर्विकल्प
हे ऋषिश्वरो! इस प्रकार सब प्राणियों के हित (कल्याण) करने में वेदव्यासजीसदा प्रवृत्त रहे, परन्तु तो भी उनका चित्त प्रसन्न नहीं हुआ।तब सरस्वती नदी के पवित्र तटपर बैठकर वेदव्यासजी एकान्तमें विचार करने लगे। उसी वक्त बीणा बजाते, हरिगुण गातेनारदमुनि उनके पास सरस्वती के तट पर आ पहुँचे। नारदमुनि को आया हुआ जानकर वेदव्यासजी ने खड़े होकर नारदजी का सत्कार किया और विधि पूर्वक पूजा कर उत्तम आसन दिया।༺═──────────────═༻
How do I balance between life and bhakti? श्री कृष्ण के वस्त्रावतार का रहस्य।। मंदिर सरकारी चंगुल से मुक्त कराने हैं? यज्ञशाला में जाने के सात वैज्ञानिक लाभ।। सनातन व सिखी में कोई भेद नहीं। सनातन-संस्कृति में अन्न और दूध की महत्ता पर बहुत बल दिया गया है ! Astonishing and unimaginable facts about Sanatana Dharma (HINDUISM) सनातन धर्म के आदर्श पर चल कर बच्चों को हृदयवान मनुष्य बनाओ। Why idol worship is criticized? Need to know idol worshipping. ज्ञान का मार्ग, वेद का मार्ग.......यह शूरवीरों का मार्ग है। विद्वानों का मार्ग है। धीर-वीर, गम्भीरो का मार्ग है। बुजदिलों का या कायरो का नहीं। ●❯────────────────❮● दुहरौनी: दुहरौनी का अर्थ अभ्यास होता है । अर्थात् बार बार दोहराना जिससे की बात याद रहे । लकीर के फ़क़ीर न बन जाए सनातन समाज । 01. क्रिया में धर्म अधर्म नहीं होता और न ही क्रिया में गुण दोष होता है । जैसे अपशब्द सुनना या कहना दोष और अधर्म है , पर होली के दिन वही धर्म हो जाता है तथा ससुराल में विवाह के समय अपशब्द सुनना एक पुण्य है । 02. जुआँ खेलने में दोष है पर दीपावली
Chanting Mantras for Sustainable Living: A Holistic Approach to Environmental Consciousness In a rapidly changing world where environmental concerns take center stage, sustainable living has emerged as a crucial lifestyle choice. It's more than just a passing trend; it's a commitment to safeguarding our planet's future for generations to come. Sustainable living is a multifaceted approach that encompasses mindful consumption, resource conservation, and responsible choices. But what if we could enhance our sustainable living efforts through the practice of chanting mantras, aligning our inner selves with our commitment to the environment? In this article, we'll explore the principles of sustainable living and how incorporating mantras can enrich our connection with the environment, making it even more vital for our well-being and the planet's health. #sustainable living tips are you living a sustainable lifestyle tips for living sustainably best sustaina
राम मंदिर उद्घाटन: 30 साल की चुप्पी के बाद 22 जनवरी को अयोध्या में प्रतिज्ञा समाप्त करेंगी सरस्वती अग्रवाल 22 जनवरी को अयोध्या में भगवान श्री राम मंदिर के प्रतिष्ठा समारोह के दौरान भगवान राम की सेवा में अपना जीवन समर्पित करने वाली सरस्वती अग्रवाल 'राम, सीताराम' कहकर अपना मौन व्रत तोड़ेंगी। धनबाद के करमटांड़ निवासी 85 वर्षीय सरस्वती अग्रवाल पिछले 30 वर्षों से मौन व्रत रखती हैं। उनकी प्रतिबद्धता अयोध्या में राम मंदिर निर्माण से जुड़ी है. अग्रवाल ने इस ऐतिहासिक घटना से जुड़ी गहरी आस्था और भक्ति की प्रतिध्वनि करते हुए, राम मंदिर बनने तक कुछ न बोलने की प्रतिज्ञा की। हालांकि, अब वह 22 जनवरी को अयोध्या जाकर अपनी चुप्पी तोड़ने वाली हैं। 22 जनवरी को, अयोध्या में भगवान श्री राम मंदिर के अभिषेक के दिन, वह 'राम, सीताराम' कहकर अपना तीन दशक पुराना मौन व्रत तोड़ेंगी। अपना जीवन भगवान राम को समर्पित करते हुए, अग्रवाल अपना अधिकांश समय अयोध्या में बिताती हैं और मंदिर के निर्माण पर अपनी अपार खुशी व्यक्त करती हैं। वह अपना जीवन धन्य मानती
تعليقات
إرسال تعليق
Thanks for your feedback.