मंदिर सरकारी चंगुल से मुक्त कराने हैं?
मंदिर सरकारी चंगुल से मुक्त कराने हैं? ... तो उनमें रखी दानपेटिका में एक धेला नहीं डालें। इसके बजाय बाहर बैठे भिक्षुकों, पूजा-पाठ करने वाले पुजारियों तथा मंदिर के अन्य कर्मचारियों के हाथ में भेंट करें। आपके इस दान से ईश्वर निश्चय ही प्रसन्न होगा। जब हजारों लोगों को प्रतिदिन भोजन कराने तथा रखरखाव का भारी व्यय माथे आएगा, तो वीर से महावीर तक सारे सरकारी ट्रस्ट भाग खड़े होंगे। हां, मंदिरों की जमीनों पर नजर भी जमाए रखें और दांत भी गड़ाए रखें, वहां कोई गड़बड़ दिखे, तो सरकार को कोर्ट में घसीटें। जब तक मंदिरों से वह अथाह धन उस सरकारी खजाने में आ रहा है, जिससे वोट बैंक को खुश करने की तमाम योजनाएं चल रही हैं, तब तक किसी पार्टी, किसी सरकार से उम्मीद और उनके चंगुल से मंदिर - मुक्ति दिवास्वप्न ही है। #मठ_मंदिर_और_ट्रस्ट मंदिर का पुजारी भगवान का प्रतिनिधित्व करता है और उनकी ही सेवा करता है। वर्तमान में प्रसिद्ध मंदिरों में ट्रस्ट बन गए हैं जिनका आधिपत्य धनपशुओं के हाथ में है। ये नीच लोग पुजारी के साथ नौकर जैसा व्यवहार करते हैं। पुजारी धर्म का सेवक है ट्रस्ट का नही