Posts

Showing posts with the label Prithu

श्रीमद भागवद पुराण तेईसवां अध्याय [स्कंध४] (पृथु का विष्णु लोक गमन)

Image
धर्म कथाएं विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण] श्रीमद भागवद पुराण [introduction] • श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४] https://anchor.fm/shrimad-bhagwad-mahapuran अस्तीत्येवोपलब्धव्यस्तत्त्वभावेन चोभयोः ।   अस्तीत्येवोपलब्धस्य तत्त्वभावः प्रसीदति ॥13॥ वह ‘है’ - इस प्रकार ही उपलब्ध करने योग्य है, और तत्वभाव से भी । दोनों में से जिसे ‘है’ - इस प्रकार की उपलब्धि हो गयी है, तात्विक स्वरुप उसके अभिमुख हो जाता है । The Self should be apprehended as existing and also as It really is. Of these two (aspects), to him who knows It to exist, Its true nature is revealed. #कठोपनिषद् [ 2-III-13 ] श्रीमद भागवद पुराण तेईसवां अध्याय [स्कंध४] (पृथु का विष्णु लोक गमन) दो-ज्यों पतिनी युत नृप पृथु, लो समाधि बन जाय। सो सब ये वर्णन कियो, तेईसवें अध्याय ।। मैत्रेय जी बोले-हे विदुर! राजा पृथु ने जिस प्रयोजन के लिये जन्म धारण किया था। सो ईश्वर आज्ञा से प्रजा पालनादि सब कर्म पूर्ण रूप से पूर्ण कि

श्रीमद भगवद पुराण * बाईसवाँ अध्याय *[स्कंध४] ( सनकादिक का पृथु को उपदेश )

Image
  धर्म कथाएं विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण] श्रीमद भागवद पुराण [introduction] • श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४] जय माता दी जी🙏 माये नी तेरा सुनेया ऐ दिल दरिया माये नी तेरा सुनेया ऐ दिल दरिया वास्ताई साडी, हो वास्ताई साडी  वास्ताई साडी अर्जी ते गौर फरमा माये नी तेरा सुनेया ऐ दिल दरिया.....2 साडा हाल लवेंगी जे पूछ माँ तैनु फर्क पवेगा ना कुछ माँ जिदा सारेया नु पाले दुख सारेया दे टाले ओदा साडे दर्द मिटा माये नी तेरा सुनेया ऐ दिल दरिया.....2 कोई ते चारा कर एस पासे आउण दा ऐ कोई वेला नहियो मंदरा च सोउण दा जींद साडी तू रुलाई जे तू सुनी ना दुहाई तेरी ममता नु की हो गया माये नी तेरा सुनेया ऐ दिल दरिया.....2 तेरी देर नाल पै गया हनेर माँ सानु लया ऐ मुसीबतां ने घेर माँ माये निर्दोष प्यार सानु देके ईक वार बेड़ी सबदी तू डूबदी नु तार माये नी तेरा सुनेया ऐ दिल दरिया.....2 माये नी तेरा सुनेया ऐ दिल दरिया वास्ताई साडी अर्जी ते गौर फरमा माये नी तेरा सुनेया ऐ दिल दरिया जय जय माँ 👏 श्रीमद

श्रीमद भागवद पुराण अध्याय २१ [स्कंध४] (पृथु का अनुशासन वर्णन)

Image
धर्म कथाएं विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण] श्रीमद भागवद पुराण [introduction] • श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४] आप मुझे इसका कारण दें  प्यार में फिर से भरोसा होना।  आप मुझे सुरक्षित महसूस कराते हैं  पता है तुम कभी नहीं छोड़ोगे।  आपका स्पर्श संतोषजनक है  और मेरी जरूरतों को पूरा करता है।  आपका प्यार मुझे कमजोर बनाता है  फिर भी मुझे ताकत देता है।  मेरे पास तुम कभी नहीं हो  आश्चर्य या रहस्य में।  आप मुझे इसका कारण बताएं  बिना दिखावा के प्यार करना।

श्रीमद भागवद पुराण १९ अध्याय [स्कंध ४] क्यू राजा पृथू ने सौवाँ यज्ञ संपन्न नही किया?

Image
धर्म कथाएं विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण] श्रीमद भागवद पुराण [introduction] • श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४] श्रीमद भागवद पुराण *उन्नीसवां अध्याय* [स्कंध ४] क्यू राजा पृथू ने सौवाँ यज्ञ संपन्न नही किया? ( पृथु का इन्द्र को मारने को उद्यत होना तब बृह्माजी द्वारा निवाग्ण करना ) दो०-अश्व हरण कियो इन्द्र ने, पृथु की यज्ञ सों आय। सो वर्णन कीयो सकल, उन्नीसवें अध्याय ।। मैत्रेयजी बोले-हे विदुर ! यह सब कार्य करने के पश्चात पृथ् ने सौ अश्वमेध यज्ञ करने का निश्चय करके वृह्ावर्त राजा देश के क्षेत्र में एक साथ दीक्षा नियम धारण किया । तब इन्द्र भयभीत हो यह समझने लगा कि यदि पृथु के सौ यज्ञ पूर्ण हो गये तो मेरा इन्द्रासन ही छिन जायगा ऐसा विचार कर वह कपटी इन्द्र पृथु के तेज को न सह सकने के कारण परम दुखी हो कर यज्ञ में विन्ध करने का उपाय करने लगा । जब पृथ के निन्यानवें अश्वमेध यज्ञ पूरे हो गये और सौवाँ अश्वमेध यज्ञ करके पृथु जी महाराज यज्ञ पति भगवान का पूजन करने लगे तो

श्रीमद भगवद पुराण *१८ अध्याय * [स्कंध ४] कामधेनु रूपी पृथ्वी का दोहना

Image
धर्म कथाएं विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण] श्रीमद भागवद पुराण [introduction] • श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४] प्रथमहिं नाम लेत तव जोई । जग कहं सकल काज सिद्ध होई ॥ सुमिरहिं तुमहिं मिलहिं सुख नाना । बिनु तव कृपा न कहुं कल्याना ॥ नित्य गजानन जो गुण गावत । गृह बसि सुमति परम सुख पावत ॥ जन धन धान्य सुवन सुखदायक । देहिं सकल शुभ श्री गणनायक ॥ ༺꧁ #जय_श्री_गणेश  ꧂ ༻श्री_गणेश_जी के दर्शन से आपकी मनोकामना पूर्ण हो और आप सदा स्वस्थ रहें।༻ 卐°॰•~ॐ~•॰°॥जयश्रीराम ॥°॰•~ॐ~•॰°卐 श्रीमद भगवद पुराण * अठारहवाँ अध्याय * [स्कंध ४] ( कामधेनु रूपी पृथ्वी का दोहना) दोहा-जिस प्रकार पृथु ने दुही, पृथ्वी रूपी गाय। अष्टम दस अध्याय में, कही कथा समझाय॥ श्री शुकदेव जी बोले- हे परीक्षत ! श्री मैत्रेय जी बोले-हे विदुर ! जब पृथ्वी ने इस प्रकार कहा तो पृथु ने उसकी बात को मान कर दया का भाव दिखाया, और पृथ्वी से कहा कि अब तू ही बता कि किस प्रकार से फिर सब वस्तुयें प्रकट होंगी। तब

श्रीमद भागवद पुराण १७ अध्याय [स्कंध४] (पृथु का पृथ्वी दोहने का उद्योग)

सुविचार।। "दर्पण" जब चेहरे का "दाग" दिखाता है, तब हम "दर्पण" नहीं तोडते, बल्की "दाग" साफ करते हैं | उसी प्रकार,  हमारी "कमी" बताने वाले पर "क्रोध" करने के बजाय अपनी "कमी" को दूर करना ही "श्रेष्ठता"है। धर्म कथाएं विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण] श्रीमद भागवद पुराण [introduction] •  श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४] श्रीमद भागवद पुराण सत्रहवां अध्याय [स्कंध४] (पृथु का पृथ्वी दोहने का उद्योग) दोहा-जिमि पृथ्वी दोहन कियो, नृप पृथु ने उद्योग। सत्रहवें अध्याय में वर्णन किया योग। मैत्रेय जी बोले-हे विदुर ! जब बन्दीजन तथा सूतगण, देवता आदि सभी अपने-अपने स्थान को चले गये तो उसके उपरान्त बहुत काल तक विचार करने वाले राजा पृथु ने धर्माअनुसार पृथ्वी पर राज्य किया। पृथु ने अपने राज्य के सभी वर्ण के लोगों को प्रसन्न किया। पृथु ने सभी का उचित सत्कार किया। एक बार पृथु के राज्य में ऐसा हुआ कि संपूर्ण भूमंडल अन

श्रीमद भागवद पुराण १६अध्याय [स्कंध४] (पृथु का सूत गण द्वारा सतवन)

सुविचार  जो विद्या केवल पुस्तक में और जो सम्पत्ति दूसरों की मुठी में, वह दोनो ही निरर्थक है।। विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण] श्रीमद भागवद पुराण [introduction] •  श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४] श्रीमद भागवद पुराण * सोलहवां अध्याय *[स्कंध४] (पृथु का सूत गण द्वारा सतवन) दोहा- कीयौ सूत गण ने सभी, पृथु की सुयश बखान। सोलहवें अध्याय में, सो सब कियो निदान।। मैत्रेय जी बोले-हे विदुर जी! यद्यपि राजा पृथु ने अपनी बढ़ाई करने से रोकने के लिये सूत मागध बन्दीजनों को मना किया। परन्तु फिर भी वे अनेक प्रकार से स्तुति करते हुये यश का बखान करने लगे। सूतगणों ने कहा-हे पृथु! आपने अपनी माया से अवतार धारण किया है। अन्यथा आप साक्षात नारायण ही हैं। सो हम में आप के अनन्त चरित्र वर्णन करने की सामर्थ्य है। क्योंकि आपका यश चरित्र बखान करने में तो ब्रह्मा आदि की बुद्धि भी भ्रम में पड़ जाती है। हे महाराज पृथु ! आप धर्म करने वाले पुरुषों में सर्व श्रेष्ठ होंगे। आप लोकों की रक्षा करने में हर प्रका

श्रीमद भागवद पुराण १५ अध्याय [स्कंध ४] (पृथु का जन्म एवं राज्याभिषेक )

Image
विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण] श्रीमद भागवद पुराण [introduction] •  श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४] श्रीमद भागवद पुराण पन्द्रहवां अध्याय [स्कंध ४] (पृथु का जन्म एवं राज्याभिषेक ) दो०-वेणु वन्श हित भुज मथी, मिलि जुलि सब मुनिराज। पृथु प्रगटित तासों भये, हर्षित भयो समाज।। श्री शुकदेवजी बोले-हैं राजा परीक्षत! इस प्रकार मैत्रेय ने विदुर से कहते हुये कहा-कि विदुर ! उस जांघ से जो कुरूप आकृति वाला पुरुष हुआ उसके कारण वेनु के शरीर से उसके सारे पाप और अधर्म निकल कर निषाद के रूप में हुये। तत्पश्- चात मुनियों ने दूसरा उद्यम किया। उन्होंने फिर वेनु को भुजाओं को मथने आरम्भ कर दिया। जिसके मथने से पृथु नाम का एक पुरुष और बरारोहा अवि नाम की एक कन्या उत्पन्न हुई। यह पृथु साक्षात विष्णु के अंश से हुआ था, और वह कन्या बरारोहा अचि साक्षात लक्ष्मी के अंश से उत्पन्न हुई थी। तब उन मुनियों ने उस वरारोहा अचि का विवाह पृथु से कर दिया, और राजतिलक करके सिंहासन पर पृथु को बिठा दिया। तद नन्तर मुनि

श्रीमद भगवद पुराण चौदहवाँ अध्याय[स्कंध४] (वेणु का राज्याभिषेक )

विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण] श्रीमद भागवद पुराण [introduction] •  श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४] ~~~~~~~~~~~~~~~~   *प्रभात दर्शन*   ~~~~~~~~ तेरा संगी कोई नहीं   सब स्वारथ बंधी लोइ,   मन परतीति न उपजै   जीव बेसास न होइ।। भावार्थ:-   कोई किसी का साथी नहीं है, सब मनुष्य स्वार्थ में बंधे हुए हैं, जब तक इस बात की प्रतीति-भरोसा मन में उत्पन्न नहीं होता, तब तक आत्मा के प्रति विशवास जाग्रत नहीं होता। अर्थात वास्तविकता का ज्ञान न होने से मनुष्य संसार में रमा रहता है। जब संसार के सच को जान लेता है और इस स्वार्थमय सृष्टि को समझ लेता है, तब ही अंतरात्मा की ओर उन्मुख होकर भीतर झांकता है !   ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~   ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ श्रीमद भगवद पुराण चौदहवाँ अध्याय[स्कंध४] (वेणु का राज्याभिषेक ) दोहा- अंग सुमन जिमि वेनु को, राज्य मिला ज्यों आय। चौदहवें अध्याय में, दिया वृतांत वताय।। मेत्रैय जी द्वारा जब वेनु के शरीर से पृथु जन्म को कहा तो विदुर जी ने पूछा हे ब्रह्मन् ! राजा