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श्रीमद भागवद पुराण २० अध्याय [स्कंध४] (विष्णु द्वारा पृथु को उपदेश मिलना)

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  धर्म कथाएं विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण] श्रीमद भागवद पुराण [introduction] • श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४] 🥀🙏जय श्री कृष्ण🙏🥀 🚩अध्याय 1 श्लोक 26 और 27🚩 तत्रापश्यत्स्थितान्‌ पार्थः पितृनथ पितामहान्‌ ।   आचार्यान्मातुलान्भ्रातृन्पुत्रान्पौत्रान्सखींस्तथा। श्वशुरान्‌ सुहृदश्चैव सेनयोरुभयोरपि । भावार्थ : इसके बाद पृथापुत्र अर्जुन ने उन दोनों ही सेनाओं में स्थित ताऊ-चाचों को, दादों-परदादों को, गुरुओं को, मामाओं को, भाइयों को, पुत्रों को, पौत्रों को तथा मित्रों को, ससुरों को और सुहृदों को भी देखा॥26 और 27वें का पूर्वार्ध॥ श्रीमद भागवद पुराण बीसवां अध्याय [स्कंध४] (विष्णु द्वारा पृथु को उपदेश मिलना)  दोहा-पृथु को ज्यों श्री विष्णु ने, किया सुलभ उपदेश। सो बीसवें अध्याय में, वर्णन कियो विशेष ।। श्री मैत्रेय जी बोले-हे बिदुर जी! जब सब लोग अपने अपने स्थान को चले गये तो इंद्र को साथ ले, श्री नारायण जी राजा पृथु के पास आये, और इस...

श्रीमद भागवद पुराण १९ अध्याय [स्कंध ४] क्यू राजा पृथू ने सौवाँ यज्ञ संपन्न नही किया?

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धर्म कथाएं विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण] श्रीमद भागवद पुराण [introduction] • श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४] श्रीमद भागवद पुराण *उन्नीसवां अध्याय* [स्कंध ४] क्यू राजा पृथू ने सौवाँ यज्ञ संपन्न नही किया? ( पृथु का इन्द्र को मारने को उद्यत होना तब बृह्माजी द्वारा निवाग्ण करना ) दो०-अश्व हरण कियो इन्द्र ने, पृथु की यज्ञ सों आय। सो वर्णन कीयो सकल, उन्नीसवें अध्याय ।। मैत्रेयजी बोले-हे विदुर ! यह सब कार्य करने के पश्चात पृथ् ने सौ अश्वमेध यज्ञ करने का निश्चय करके वृह्ावर्त राजा देश के क्षेत्र में एक साथ दीक्षा नियम धारण किया । तब इन्द्र भयभीत हो यह समझने लगा कि यदि पृथु के सौ यज्ञ पूर्ण हो गये तो मेरा इन्द्रासन ही छिन जायगा ऐसा विचार कर वह कपटी इन्द्र पृथु के तेज को न सह सकने के कारण परम दुखी हो कर यज्ञ में विन्ध करने का उपाय करने लगा । जब पृथ के निन्यानवें अश्वमेध यज्ञ पूरे हो गये और सौवाँ अश्वमेध यज्ञ करके पृथु जी महाराज यज्ञ पति भगवान का पूज...

श्रीमद भगवद पुराण *१८ अध्याय * [स्कंध ४] कामधेनु रूपी पृथ्वी का दोहना

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धर्म कथाएं विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण] श्रीमद भागवद पुराण [introduction] • श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४] प्रथमहिं नाम लेत तव जोई । जग कहं सकल काज सिद्ध होई ॥ सुमिरहिं तुमहिं मिलहिं सुख नाना । बिनु तव कृपा न कहुं कल्याना ॥ नित्य गजानन जो गुण गावत । गृह बसि सुमति परम सुख पावत ॥ जन धन धान्य सुवन सुखदायक । देहिं सकल शुभ श्री गणनायक ॥ ༺꧁ #जय_श्री_गणेश  ꧂ ༻श्री_गणेश_जी के दर्शन से आपकी मनोकामना पूर्ण हो और आप सदा स्वस्थ रहें।༻ 卐°॰•~ॐ~•॰°॥जयश्रीराम ॥°॰•~ॐ~•॰°卐 श्रीमद भगवद पुराण * अठारहवाँ अध्याय * [स्कंध ४] ( कामधेनु रूपी पृथ्वी का दोहना) दोहा-जिस प्रकार पृथु ने दुही, पृथ्वी रूपी गाय। अष्टम दस अध्याय में, कही कथा समझाय॥ श्री शुकदेव जी बोले- हे परीक्षत ! श्री मैत्रेय जी बोले-हे विदुर ! जब पृथ्वी ने इस प्रकार कहा तो पृथु ने उसकी बात को मान कर दया का भाव दिखाया, और पृथ्वी से कहा कि अब तू ही बता कि किस प्रकार से फिर सब वस्तुय...

क्यूं युध्द करने की जगह भगवान ने लिया वामन अवतार?

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श्रीमद भागवद पुराण पन्द्रहवां अध्याय[स्कंध ८] ( बलि द्वारा-स्वर्ग विजय ) दोहा -अब बलि की वर्णन कथा भाखी नो न्याय। यज्ञ विश्वजित एक में बलिको वभव लाय ॥१५॥  परीक्षित पूछने लगे-महाराज ! भगवान ने बलि से संसार के स्वामी होकर भी कृपण की तरह तीन पेड़ पृथ्वी क्यों मांगी और मिल जाने पर भी क्यों बांध लिया? शुकदेव जी बोले-देवासुर संग्राम में जब इन्द्र ने राजा बलि की स्त्री और प्राण दोनों हर लिये तो शुक्राचार्य ने प्रसन्न होकर बलि से विधि पूर्वक विश्वजित यज्ञ कराय और उसका अभिषेक कराया तदनन्तर अग्नि से सुवर्ण से मढ़ा एक रथ निकला जिसमें इन्द्र के घोड़ों के समान घोड़े जुते हुए थे, और सिंह के चिन्ह से अङ्कित ध्वजा थी तथा दिव्य धनुष, तरकस और कवच निकले, प्रहलाद ने एक माला दी जिस के फूल कमी कुम्हलाते न थे और शुक्राचार्य ने एक शंख दिया। इस तरह ब्राह्मणों ने युद्ध की सामग्री तैयार कर दी और फिर स्वस्तिवाचन किया। तब बलि उन ब्राह्मणों को नमस्कार कर प्रहलाद की आज्ञा लेकर भृगु के दिये हुए दिव्य रथ पर चढ़ा, माला पहनी, कवच धारणकर लिया, खग, धनुष और तरकस बांध लिया। तदनन्तर राक्षसों की सेना को साथ ले बलि ने इन्द...

सूर्य की परिक्रमा, पुर्ण विस्तर, राशियों में प्रवेश, खगोल, भूगोल, दिन, रात, इत्यादी।

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  कैसे सूर्य भगवान करते हैं, दिन, घड़ी, समय का निर्माण।  सृष्टि के संचालक श्री सूर्य नारायण। श्रीमद भागवद पुराण इक्कीसवां अध्याय[स्कंध ५] राशि संचार द्वारा लोक यात्रा निरूपण दोहा-सूर्य चन्द्र की चाल से, होवे दिन और रात। सो इककीस अध्याय विच, लिखी लोक की बात।। श्री शुकदेवजी वोले-हे राजा परीक्षत ! जितना प्रमाण खगोल से पृथ्वी मण्डल का कहा है, उतना ही नभ मण्डल का है। भूगोल और खगोल के बीच का भाग आकाश है। जो कि दोनों से मिला हुआ है। इसी के अन्तरिक्ष के बीच में सूर्य नारायण उत्तरायण, दक्षिणायन, विषुवत नाम वाली मन्द, शीघ्र, समान गति से ऊँचे-नीचे चढ़कर त्रिलोकी को तपाते हुये समान स्थान पर चलने के लिये नियत समय पर मकर आदि राशियों में आकर रात दिन को बड़ा छोटा और समान बना देते हैं। जब सूर्य नारायण मेष और तुला राशियों में आते हैं तब दिन और रात समान हुआ करते हैं। जब वृष, मिथुन, कर्क, सिंह और कन्या राशियों में सूर्य आते हैं तब दिन बड़े होते हैं और प्रतिमाह रात्रि एक-एक घड़ी कम होती जाती है। जब वृश्चिक धनु, मकर, कुम्भ, और मीन राशि में सूर्य भगवान आते हैं तब दिन छोटे और रात बड़ी हुआ करती है। जब...