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मनुष्य के वर्तमान जन्म के ऊपर पिछले जन्म अथवा जन्मों के प्रभाव का दस्तावेज है।

'भृगु संहिता'  मनुष्य के वर्तमान जन्म के ऊपर पिछले जन्म अथवा जन्मों के प्रभाव का दस्तावेज है जो 'महर्षि भृगु' और उनके पुत्र 'शुक्र' के संवाद के रूप में आगे बढ़ता है। अगर एक बार आपको अपना ' भोजपत्र ' 'भृगु दरबार' में मिल गया तो आपके जीवन के कई अनुत्तरित प्रश्नों के उत्तर मिल जाते हैं मगर इसके लिए आपको ' भोजपत्र ' पर उभर आई बातों को बड़े ध्यान से समझना होगा। ' भृगु ' और ' शुक्र ' के संवाद से मुझे जो समझ में आया उसके अनुसार हमारा वर्तमान जीवन हमारे पूर्व जन्म के कर्मों का प्रतिफल है और किसी के साथ हमारा संबंध ऋण अनुबंध के नतीजे में है। जिसके साथ ये अनुबंध ज्यादा है वो आपके माता,  पिता, भाई, बहन अथवा पति या पत्नी के रूप आते हैं, मित्र के रूप में आते हैं और जिनके साथ ये अनुबंध कम है वो जीवन में आते- जाते रहते हैं। इसलिए मैं मानता हूं कि इस जन्म में जिसके साथ मेरा जैसा भी संबंध है वो किसी न किसी पूर्व जन्म के ऋण अनुबंध के कारण है। जिंदगी के सबसे बेहतरीन लोग मुझे सोशल मीडिया के आभासी पटल पर ही मिले। दो -चार ऐसे