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जय विजय के तीन जनम एवं मोक्ष प्राप्ति।

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  Why idol worship is criticized? Need to know idol worshipping. तंत्र--एक कदम और आगे।  नाभि से जुड़ा हुआ एक आत्ममुग्ध तांत्रिक। श्रीमद भगवद पुराण प्रथम अध्याय-सातवां स्कन्ध प्रारम्भ दो०-कुल पन्द्रह अध्याय हैं, या सप्तम स्कंध ।  वर्णन श्री शुकदेवजी उत्तम सकल निबन्ध ।। हिरण्यकश्यप के वंश की, हाल कहूँ समय ।  या पहले अध्याय में, दीयो बन्श बताय।॥ परीक्षित ने पूछा-हे शुकदेव जी ! जो ईश्वर सब प्राणियों में समान दृष्टि रखते हैं, फिर उनने विषम बुद्धि वाले मनुष्य की तरह इन्द्र के भले के लिये राक्षसों एवं दैत्यों को क्यों कर मारा सो मुझ से कहिये।  श्री शुकदेव जो बोले-हे परीक्षित ! भगवान अजन्मा सब प्रपंच महाभूतों से रहित है। परंतु समय के अनुसार (रजोगुण, सतोगुण, तमोगुण, यह घटते बढ़ते रहते हैं ।   सत्वगुण के समय में देवता और ऋषियों की वृद्धि होती है । रजोगुण के समय में असुरों की वृद्धि होती है। तमोगुण के समय में यक्ष राक्षसों की वृद्धि होती है।  अतः जैसी परिस्थिति होती है उसी के अनुरूप भगवान हो जाता है। यही प्रश्न एक बार पहिले राजा युधिष्ठिर ने नारद जी से किया था। सो उन्होंने एक इ

भगवान विष्णु का हिरण्यक्ष को युध्ददान।

सनातन-संस्कृति में अन्न और दूध की महत्ता पर बहुत बल दिया गया है  ! सनातन धर्म के आदर्श पर चल कर बच्चों को हृदयवान मनुष्य बनाओ। Why idol worship is criticized? Need to know idol worshipping. तंत्र--एक कदम और आगे।  नाभि से जुड़ा हुआ एक आत्ममुग्ध तांत्रिक। क्या था रावण की नाभि में अमृत का रहस्य?  तंत्र- एक विज्ञान।। जनेऊ का महत्व।। आचार्य वात्स्यायन और शरीर विज्ञान।  अध्याय १८ श्रीमद भागवद पुराण *अठारहवाँ अध्याय* [स्कंध३] हिरण्याक्ष के साथ भगवान वाराह का युद्ध। दो-या अष्टमदश अध्याय में, वरणी कथा ललाम। वराह और हिरण्याक्ष में हुआ घोर संग्राम ॥ श्री मैत्रेय जी बोले-हे विदुर जी ! जब वरुण जी ने उस महा दुख दाई दैत्य से इस प्रकार बचन कहे तो वह वरुण जी का ठठा कर हँसा और वहाँ से भगवान विष्णु को खोजने के लिये चल पड़ा। तभी मार्ग में उसे हरिगुन गाते हुये नारद मुनि आते हुये मिले । तब उस दैत्य ने नारद जी से कहा-रे नारद! तू इस तरह घूम फिर कर किस के गुण गाता फिरता है। तब नारद जी ने कहा-हे देत्यराज हिरण्याक्ष! यह सब आपही की महिमा है जो मैं इस प्रकार स्वछन्द हो भ्रमण करता हूँ। इससे दैत्य ने प्रसन्