तंत्र--एक कदम और आगे। नाभि से जुड़ा हुआ एक आत्ममुग्ध तांत्रिक।
श्रीमद भगवद पुराण प्रथम अध्याय-सातवां स्कन्ध प्रारम्भ
दो०-कुल पन्द्रह अध्याय हैं, या सप्तम स्कंध ।
वर्णन श्री शुकदेवजी उत्तम सकल निबन्ध ।।
हिरण्यकश्यप के वंश की, हाल कहूँ समय ।
या पहले अध्याय में, दीयो बन्श बताय।॥
परीक्षित ने पूछा-हे शुकदेव जी ! जो ईश्वर सब प्राणियों में समान दृष्टि रखते हैं, फिर उनने विषम बुद्धि वाले मनुष्य की तरह इन्द्र के भले के लिये राक्षसों एवं दैत्यों को क्यों कर मारा सो मुझ से कहिये।
सो वही दोनों पहिले जन्म में कश्यप की स्त्री दिति के हिरण्यकश्यप और हिरण्याक्ष हुये जो भगवान विष्णु द्वारा वराह अवतार और नृसिंह अवतार धर कर उस योनि से मुक्ति को पाए।दूसरे जन्म में विश्रवा ऋषि के अंस से केशनी नाम स्त्री के गर्भ से रावण और कुम्भकर्ण हुये जो विष्णु ने राम अवतार धारण कर उस योनि से मुक्ति दिलाई।पश्चात वही दोनों शिशुपाल और दन्तवक्र है जो भगवान श्रीकृष्ण द्वारा मोक्ष को प्राप्त हुये।
मंदिर सरकारी चंगुल से मुक्त कराने हैं?
क्या था रावण की नाभि में अमृत का रहस्य? तंत्र- एक विज्ञान।।
आचार्य वात्स्यायन और शरीर विज्ञान।
तांत्रिक यानी शरीर वैज्ञानिक।।
मनुष्य के वर्तमान जन्म के ऊपर पिछले जन्म अथवा जन्मों के प्रभाव का दस्तावेज है।
सबसे कमजोर बल: गुरुत्वाकर्षण बल।सबसे ताकतवर बल: नाभकीय बल। शिव।। विज्ञान।।
सौगंध मुझे इस मिट्टी की मैं देश नहीं मिटने दूंगा।।