जनेऊ का महत्व।।

तीन तीन पीढ़ियाँ हो गईं गायत्री की छत्रछाया त्यागे। मात्र वैवाहिक संबंध स्थापित करने के लिए औपचारिक रूप से जनेऊ डाल लेते हैं और फिर उतार कर फेंक देते हैं जैसे जबरदस्ती कोई घृणित वस्तु शरीर से चिपकाना पड़ रही थी किसी अत्यावश्यक कारण से।


#गर्व_से_कहो_हम_हिन्दु_हैं


तीन तीन पीढ़ियाँ हो गईं गायत्री की छत्रछाया त्यागे। मात्र वैवाहिक संबंध स्थापित करने के लिए औपचारिक रूप से जनेऊ डाल लेते हैं और फिर उतार कर फेंक देते हैं जैसे जबरदस्ती कोई घृणित वस्तु शरीर से चिपकाना पड़ रही थी किसी अत्यावश्यक कारण से।


शास्त्रों में स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि ब्राह्मण गायत्री का ऋणी है। ब्राह्मण जन्म के साथ ही तुम्हारे लिए उपनयन संस्कार और फिर १२०० गायत्री २४ घंटे में जप अनिवार्य कर दिया गया है।


यही तुम्हारी छतरी है जो आपदा विपदाओं में तुम्हारी रक्षा करती है।
और तुम ऐसे निर्लज्ज, निर्वीर्य कि वो छतरी छोड़ कर जमाने में भागते फिर रहे हो।
जिन लोगों को तुम्हारे पूर्वजों ने अभयदान दिया था तुम उनके जूतों में बैठे धन्य हो रहे हो।
जिनके हाथ का जल तक तुम्हारे पूर्वजों ने पाप घोषित कर दिया था, तुम उन म्लेच्छों की गुलामी के लिए उनके देश तक चले जा रहे हो।
किंतु अपने इस रक्षाकवच के प्रति सम्मान और विश्वास तुम्हारी नस्ल से दुर्लभ होता जा रहा है।

स्मरण रहे, तुम ब्राह्मण हुए तो मात्र गायत्री प्रसाद से और इसकी अवहेलना तुम्हें सर्वनाश की कगार पर ले आई है।

किंतु थोथा अहंकार है कि फिर भी नहीं समझ रहा है।
पूर्वजन्मों के पुण्य का फल होता है ब्राह्मण शरीर मिलना। जिस शक्ति ने ये जन्म दिया उसकी अवहेलना कहाँ ले जाकर छोड़ेगी तुम्हें और तुम्हारी संतानों को, इसका आभास मात्र भी होता तो अपने पापों के लिए सर्वस्व अर्पण कर देते।
किंतु विनाशकाले विपरीत बुद्धि....!!!

साधु और ब्राह्मण ये सृष्टि के दो नेत्र मानो। तुमसे परमात्मा सृष्टि को देखता है और उसका ध्यान रखता है।

तुम ही अपनी स्थिति से पतित होते हो तो बाहरी अत्याचार के अरण्यरोदन से क्या लाभ???







Find the truthfulness in you, get the real you, power up yourself with divine blessings, dump all your sins...via... Shrimad Bhagwad Mahapuran🕉

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