जनेऊ का महत्व।।
#गर्व_से_कहो_हम_हिन्दु_हैं तीन तीन पीढ़ियाँ हो गईं गायत्री की छत्रछाया त्यागे। मात्र वैवाहिक संबंध स्थापित करने के लिए औपचारिक रूप से जनेऊ डाल लेते हैं और फिर उतार कर फेंक देते हैं जैसे जबरदस्ती कोई घृणित वस्तु शरीर से चिपकाना पड़ रही थी किसी अत्यावश्यक कारण से। शास्त्रों में स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि ब्राह्मण गायत्री का ऋणी है। ब्राह्मण जन्म के साथ ही तुम्हारे लिए उपनयन संस्कार और फिर १२०० गायत्री २४ घंटे में जप अनिवार्य कर दिया गया है। यही तुम्हारी छतरी है जो आपदा विपदाओं में तुम्हारी रक्षा करती है। और तुम ऐसे निर्लज्ज, निर्वीर्य कि वो छतरी छोड़ कर जमाने में भागते फिर रहे हो। जिन लोगों को तुम्हारे पूर्वजों ने अभयदान दिया था तुम उनके जूतों में बैठे धन्य हो रहे हो। जिनके हाथ का जल तक तुम्हारे पूर्वजों ने पाप घोषित कर दिया था, तुम उन म्लेच्छों की गुलामी के लिए उनके देश तक चले जा रहे हो। किंतु अपने इस रक्षाकवच के प्रति सम्मान और विश्वास तुम्हारी नस्ल से दुर्लभ होता जा रहा है। स्मरण रहे, तुम ब्राह्मण हुए तो मात्र गायत्री प्रसाद से और इसकी अवहेलना तुम्ह