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महाशिवरात्रि 2024: जानिए त्योहार की तारीख, समय और शुभ योग

महाशिवरात्रि 2024: जानिए त्योहार की तारीख, समय और शुभ योग   महाशिवरात्रि 2024 तिथि समय : इस वर्ष भगवान शिव से जुड़ा पवित्र त्योहार महाशिवरात्रि पर सर्वार्थ सिद्धि सहित तीन शुभ योग बनेंगे।  महाशिवरात्रि के दौरान रात भर चलने वाली 4 प्रहर पूजा का महत्व महत्वपूर्ण है, और काशी के प्रसिद्ध ज्योतिषी चक्रपाणि भट्ट 4 प्रहर पूजा के दिन, शुभ योग और मुहूर्त पर प्रकाश डालते हैं।   आइए विवरण देखें।

क्यूँ दक्ष प्रजापति ने देवों के देव महादेव को यज्ञ में नही बुलाया।।श्रीमद भागवद पुराण तीसरा अध्याय [स्कंध ४]

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  श्रीमद भागवद पुराण तीसरा अध्याय [स्कंध ४] (सती का प्रजापति दक्ष के घर जाने को कहना ) दोहा-जिस प्रकार शिव से सती, वरजी बारम्बार । सौ तृतीय अध्याय में, वरणी कथा उचार ॥ श्री शुकदेव जी बोले-हे राजा परीक्षत!,--श्री मैत्रेय जी कहने लगे-हे विदुर जी! इस प्रकार द्वेष-भाव रखते हुये प्रजापति दक्ष और देवों के देव महादेव जी को बहुत समय व्यतीत हो गया। तब ब्रह्माजी ने दक्ष को सब प्रजा पतियों का स्वामी बनाकर राज्यभिषेक कर दिया। जब दक्ष सब प्रजापतियों का भी राजा हो गया तो उसे फिर अभिमान के कारण शिव से अपना बदला लेने की याद आई। जिससे उसने अपने मन में विचार कि मैंने देवताओं एवं ब्राह्मणों की सभा में यह श्राप शिव को दिया था कि, उसे यज्ञ का भाग न मिले। अतः इस कार्य का प्रारम्भ पहिले मुझे ही करना चाहिए। जिससे मेरे इस कृत्य को देख कर शिव को फिर अन्य कोई भी अपने यज्ञ में भाग नहीं देग ऐसा विचार कर प्रजापति दक्ष ने यज्ञ का निश्चय कर के सम्पूर्ण ब्राम्हण ऋषि, देवर्षि, ब्रह्म ऋषि, पितृगण, देवताओं को यज्ञ का निमंत्रण भेज कर बुलाया। तब उन सब की स्त्रियां श्रृंगार करके अपने-अपने पतियों के साथ आई। उस समय परस्प...

श्रीमद भागवद पुराण दूसरा अध्याय[स्कंध४] (शिव तथा दक्ष का वैर होने का कारण)

 श्रीमद भागवद पुराण दूसरा अध्याय[स्कंध४] (शिव तथा दक्ष का वैर होने का कारण) दोहा-जैसे शिव से दक्ष की, भयो भयानक द्वेष। सो द्वितीय अध्याय में वर्णन करें विशेष ।। श्री शुकदेव जी कहने लगे-हे परीक्षित ! जब मैत्रेय जी ने सती के विषय में यह कहा तो विदुर जी ने पूछा - है वृह्यान् ! यह कथा सविस्तार कहिये कि दक्ष प्रजापति और शिवजी में क्यों और किस प्रकार वैर-भाव उत्पन्न हुआ। तब मैत्रेय जी बोले हे विदुर जी ! एक समय सभी देवता आदि और ऋषी इत्यादि एक शुभ यज्ञ कार्य में जाकर एकत्रित हुए थे । उसमें ब्रह्मा जी तथा शिवजी भी आये हुये थे। तब उस महा सभा में वृह्माजी के पुत्र प्रजापति दक्ष भी पहुँचे । जिन्हें आया देखकर सभी देव ता तथा ऋषि-मुनि उनका आदर अभिवादन करने को अपने अपने आसनों से उठखड़े हुये और उन्हें प्रणाम आदि कर सम्मानित किया। परन्तु भगवान शिव और ब्रह्मा जी अपने आसन से नहीं उठे थे। अर्थात् इन्हीं दोनों ने दक्ष प्रजापति का अन्य सबों की तरह से आदर-सत्कार नहीं किया था। तब वह प्रजा पति दक्ष जगत गुरु ब्रह्मा जी को प्रणाम करके अपने आसन पर बैठ गये। तब दक्ष ने अपने मन में विचार किया कि वृह्माजी तो मेर...