सबसे कमजोर बल: गुरुत्वाकर्षण बल।सबसे ताकतवर बल: नाभकीय बल। शिव।। विज्ञान।।

सबसे कमजोर बल होता है गुरुत्वाकर्षण बल और सबसे ताकतवर बल होता है नाभकीय बल | शिव इसी नाभकीय बल का प्रतीक है।


जब नयूक्लेअर फाॅर्स कण्ट्रोल में होता है तो अपार ऊर्जा देता है , जब नियंत्रत से बाहर होता है तो सब कुछ नष्ट करने वाला होता है |


ब्रह्मा को श्रृष्टि का  रचनाकार कहा गया है ये रचना शुरू होती है गुरुत्वाकर्षण बल से , जब कुछ गैस ग्रेविटी के कारन पास आ जाती है और फिर उनके  भार के कारन नयूक्लेअर रिएक्शन शुरू हो जाता है , जिससे फिर तारो और ग्रहों का निर्माण होता है |

निर्माण होने के बाद अगर गति न हो तो फिर सब बेकार हो जाता है, गति ही स्थिरता देती है , खड़ी साइकिल तब ही सीधी रह सकती है जब वो गति कर रही हो नहीं तो गिर जाती है |  गतिमान जो है वोही बचता है , विष्णु वो गति है |

Brahma = gravity , Shiv = Nuclear force , Vishu = force of motion or kinetic energy


Brahma the creator, Shiv the destroyer, Vishnu the preserver


आप किसी परमाणु  रिएक्टर को देखे , एक डोम का आकार , जहा रिएक्शन को कण्ट्रोल में रखने के लिए हैवी वाटर D20 बहता है ,  फिर शिवलिंग को देखे वोही आकार और चारो और पानी |

शिव को चढ़ाया हुआ पानी इस्तेमाल नहीं किया जाता और न ही नयूक्लेअर रिएक्टर से निकला हुआ हैवी वाटर |

जब ब्रहमांड की परिक्रमा करने की बात आई तो गणेश ने शिव की परिक्रमा की ,  क्योकि शिव ही ब्रह्माण्ड का केंद्र है जहा न्यूक्लिअर रिएक्शन चल रहा है |

हिन्दू धर्म वो नहीं हो जो 99% हिन्दू आज कर रहा है , हम प्रक्रति की शक्तियों की उपासना करते है और कर्म को मानते है |  जो किस्से कहानिया हमें बात को समझाने के लिए बनाई गई है , पर असली बातो को तो भूल ही गए |

आप जिस दिन ठीक से हिन्दू धर्म को समझोगे , दुनिया का पूरी साइंस  फिजिक्स समझ में आ जाएगी |

मंदिर सरकारी चंगुल से मुक्त कराने हैं?

क्या था रावण की नाभि में अमृत का रहस्य?  तंत्र- एक विज्ञान।।

जनेऊ का महत्व।।


आचार्य वात्स्यायन और शरीर विज्ञान।


तांत्रिक यानी शरीर वैज्ञानिक।।

मनुष्य के वर्तमान जन्म के ऊपर पिछले जन्म अथवा जन्मों के प्रभाव का दस्तावेज है।


Find out how our Gurukul got closed. How did Gurukul end?


Find the truthfulness in you, get the real you, power up yourself with divine blessings, dump all your sins...via... Shrimad Bhagwad Mahapuran🕉

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