Posts

Showing posts from December, 2021

शीर्ष महिला भारतीय गणितज्ञ ...... लीलावती

Image
Read in English गणितज्ञ #लीलावती का नाम हममें से अधिकांश लोगों ने नहीं सुना है। उनके बारे में कहा जाता है कि वो पेड़ के पत्ते तक गिन लेती थी।  शायद ही कोई जानता हो कि आज यूरोप सहित विश्व के सैंकड़ो देश जिस गणित की पुस्तक से गणित को पढ़ा रहे हैं, उसकी रचयिता भारत की एक महान गणितज्ञ महर्षि भास्कराचार्य की पुत्री लीलावती है। आज गणितज्ञो को गणित के प्रचार और प्रसार के क्षेत्र में लीलावती #पुरूस्कार से सम्मानित किया जाता है।  आइए जानते हैं महान गणितज्ञ लीलावती के बारे में जिनके नाम से गणित को पहचाना जाता था।  दसवीं सदी की बात है, दक्षिण भारत में #भास्कराचार्य नामक गणित और ज्योतिष विद्या के एक बहुत बड़े पंडित थे। उनकी कन्या का नाम लीलावती था।  वही उनकी एकमात्र संतान थी। उन्होंने ज्यो‍तिष की गणना से जान लिया कि ‘वह विवाह के थोड़े दिनों के ही बाद विधवा हो जाएगी।’  उन्होंने बहुत कुछ सोचने के बाद ऐसा लग्न खोज निकाला, जिसमें विवाह होने पर कन्या विधवा न हो। विवाह की तिथि निश्चित हो गई। जलघड़ी से ही समय देखने का काम लिया जाता था।  एक बड़े कटोरे में छोटा-सा छेद कर पानी क...

Soyabean: Deteriorating life.... Deteriorating Health...

Image
सोयाबीन,,, एक होते हैं अन्न,,अन्न के विभाग होते हैं कुछ,,उसमें दो विभागों की बात कर ली जाए,, एक होता है दलहन जिसमें ऊपर का छिलका उतारने पर अंदर दो भागों में अन्न रहता है,, जैसे चना,, उड़द,, मसूर आदि,, एक होते हैं #तिलहन,, जैसे--तिल, सरसों,,तीरा,, सूरजमुखी आदि,,  #मूंगफली जैसे कुछ अन्न दलहन में भी आते हैं तिलहन में भी,, जैसे मोटे बीजों की मूंगफली दलहन में है वहीं छोटे छोटे बीजों वाली मूंगफली तिलहन में आती है,, अब सवाल उठता है कि सोयाबीन दलहन में है या तिलहन में??  तो सीधा सा जवाब है कि #आचार्यों ने उन्हीं अन्नों को श्रेणीबद्ध किया जो भारत भूमि में पाए जाते हैं,, बोले तो देशी,,  फिर सोयाबीन क्या है??जवाब है #बाहर का अन्न,,ठीक है भाई मान लिया बाहर का है,, ये तो बताओ दलहन है या तिलहन??  तो सीधा सा जवाब है कि #दलहन है,, यानी कोई माई का लाल सोयाबीन से एक बूंद भी तेल नहीं निकाल सकता,, फिर तेल आया कहाँ से?? #पाम आयल दो तरह का होता है बन्धु,, एक तरह का आप सब जानते ही हैं,, एक तरह का जिसको आप हम नहीं जानते लेकिन #तेल इंडस्ट्रीज वाले जानते हैं,,18-20 रुपये किलो तक विदेशों...

A lot of cuisines to eat...still Indian roti at it's best. ....साधारण रोटी की महिमा।

Image
A lot of cuisines to eat...still Indian roti at it's best. ....साधारण रोटी की महिमा।   भारत के विशाल क्षेत्र में भोजन के साथ रोटी खाई जाती है। कई लोग इस "साधारण" से दिखने वाले व्यंजन को चपाती या फुलका भी कहते है। चाहे गेंहू के आटे का फुलका हो, चने की मिस्सी रोटी; जवार एवं बाजरे का रोटला;  मक्के एवं मड़ुआ की चपाती; या फिर बाटी या लिट्टी। इन सभी की पाक विधि भी अत्यधिक सरल है; ताम-झाम से दूर।  बस आवश्यकतानुसार किसी भी अन्न का पिसा आटा लिया; उसे किसी बर्तन या केले के पत्ते पर पानी मिलाकर सान लिया। छोटे-छोटे गोले बनाएं। एक गोले को हथेली पर चपटाकर दोनों हथेलियों पे अल्टा-पलटा; मनचाही मोटाई एवं गोलाई वाली रोटी का आकार दिया।  फिर सीधे लकड़ी, कोयला या फिर कंडे की आग पर डाल दिया। आग पर एक-दो बार अल्टा-पलटा और रोटी-चपाती-फुलका-बाटी तैयार। आधुनिक समय में चकला-बेलन, चिमटा, तवा, गैस इत्यादि के आगमन से रोटी बनाने में कुछ उपकरण जुड़ गए है।  लेकिन अगर कोई भी उपकरण ना हो, तो केवल पानी, आटा, बड़ा पत्ता एवं आग से काम चल जाता है। आग से तुरंत निकली हुई उस रोटी पर घी-मक्खन लगाइये, या...