सोयाबीन,,,
एक होते हैं अन्न,,अन्न के विभाग होते हैं कुछ,,उसमें दो विभागों की बात कर ली जाए,, एक होता है दलहन जिसमें ऊपर का छिलका उतारने पर अंदर दो भागों में अन्न रहता है,, जैसे चना,, उड़द,, मसूर आदि,, एक होते हैं #तिलहन,, जैसे--तिल, सरसों,,तीरा,, सूरजमुखी आदि,,
#मूंगफली जैसे कुछ अन्न दलहन में भी आते हैं तिलहन में भी,, जैसे मोटे बीजों की मूंगफली दलहन में है वहीं छोटे छोटे बीजों वाली मूंगफली तिलहन में आती है,,
अब सवाल उठता है कि सोयाबीन दलहन में है या तिलहन में??
तो सीधा सा जवाब है कि #आचार्यों ने उन्हीं अन्नों को श्रेणीबद्ध किया जो भारत भूमि में पाए जाते हैं,, बोले तो देशी,,
फिर सोयाबीन क्या है??जवाब है #बाहर का अन्न,,ठीक है भाई मान लिया बाहर का है,, ये तो बताओ दलहन है या तिलहन??
तो सीधा सा जवाब है कि #दलहन है,, यानी कोई माई का लाल सोयाबीन से एक बूंद भी तेल नहीं निकाल सकता,,
फिर तेल आया कहाँ से??
#पाम आयल दो तरह का होता है बन्धु,, एक तरह का आप सब जानते ही हैं,, एक तरह का जिसको आप हम नहीं जानते लेकिन #तेल इंडस्ट्रीज वाले जानते हैं,,18-20 रुपये किलो तक विदेशों से मिल जाता है पहुंच के किराए समेत,, वह ऐसा तेल है जिसको पशु भी नहीं पचा सकते,, मनुष्य के लिवर की तो बात ही छोड़ दो,, उस तेल को बड़े बड़े टबो में #टैंकरों में भरके उसमें सोयाबीन डाल देते हैं,, दो चार दिन में सोयाबीन फूल कर कुप्पा हो जाता है तेल को पीकर,, फिर उसे कोल्हू में या इंडस्ट्री में पेलकर निकाल लिया जाता है,,
लोग कह सकते हैं कि उसमें सोयाबीन के गुण आ गए होंगे,, हां कुछ तो आ ही जाते हैं भाई,, लेकिन यही तो सोयाबीन का मज़ा है,,उसको पूरी पृथ्वी पर एक ही पशु पचा सकता है,, वह है #सूअर,, इसलिए सूअर पालन वाले देशों में सोयाबीन की खपत बहुत है,,
जिन देशों में सुअर पालन उतना विकसित नहीं है,,वे भारत में उसका तेल बेच देते हैं,, बची खली,, उसकी मंगोड़ी बनाकर बेच देते हैं,,,
#डॉक्टर आपको सोयाबीन के गुण गिनाते रहेंगे,, क्योंकि डॉक्टरी टिकी है #दवा उद्योग पर,, दवाई बिक्री टिकी है तुम्हारी बीमारी पर,,,
बीमारियां तब आएंगी जब आप #जहर खाएंगे,, तो भोजन को दूषित करने और सोयाबीन तेल से लेकर अन्य जो भी आपको प्रोटीन आदि बोलकर खिलाना पड़े डॉक्टर खिलाते रहेंगे,,, हमाम में सब नंगे जो ठहरे,,
हां एक बात तो भूल ही गया था--ज्यादा लंबे समय से खा रहे हैं तो #बांझपन और #नपुंसकता फ्री में देती है प्यारी सोयाबीन,, आखिर आखिर बस अड्डे के पीछे गली में #हकीम जी का भी तो धंधा फलता फूलता रहे इसका ध्यान रखना है भई:blush:
हमारा क्या है,,लेटे हैं धूप में #बाजरे की रोटी दही और #बथुए के साग के साथ खाकर,, साथ में गुड़ की डली,,
परमेश्वर हम सबको खानपान के बारे में सजगता दे,,, जिससे सुख और स्वास्थ्य बना रहे,,
ॐ श्री परमात्मने नमः। *सूर्यदेव*