हम देखेंगे--#वैदिक दृष्टि से,,
हम देखेंगे--#वैदिक दृष्टि से,,
उत्तिष्ठत सं नह्यध्वमुदारा: केतुभि: सह lसर्पा इतरजना: रक्षामस्यमित्राननु धावत ll #अथर्ववेद--११-१०-१,,
वेदमन्त्र कहता है--उदारा:-हे उदार पुरुषों,,चूंकि मुझे नहीं लगता कि #सनातनधर्मियों से उदार भी कोई होता होगा,, ये ऐसी गर्दन हैं जो #छुरे को चाहती हैं,, ये ऐसी भेड़ हैं जिनका कसाई से इश्क है,, ये ऐसी #घास हैं जिनकी घोड़े से दोस्ती है,,हमारी ही बात कर रहा है वेदमन्त्र,,
हे उदार पुरुषों,,बहुत हो चुकी उदारता,,#उत्तिष्ठत--उठ खड़े होओ,,सं #नह्यंध्वम--अपने लोहे के कवचों को पहन लो,, केतुभि:सह--धर्मध्वजाओं के साथ,, हे उदार पुरुषों बहुत हुआ तुम्हारे ऊपर पाप और अत्याचार,, अब धर्मध्वजा लेकर उठ खड़े हो,, कवचों को धारण कर महायुद्ध के लिए तैयार हो,,
#सर्पा--सर्पों के समान जहरीली विचारधारा वाले यानी जो हमेशा तुम्हें डसने, तुम्हें मिटाने को घात लगाए बैठे हैं,, #इतरजना:--पामर जन,, यानी हरामी #लिबरलजन और विषैले वामपंथी कुबुद्धिजीवी,,#रक्षांसि--वे राक्षस जिन्होंने तुम्हारा सामुहिक नरसंहार किया,,फिर वो चाहे #कश्मीर में हो कैराना में, केरल में, #कंधार में या काबुल में क्या फर्क पड़ता है,, सामुहिक नरसंहार किया यह तो सत्य है ही,,
#अमित्रान अनु--उन अमित्रों पर उन शत्रुओं पर,, उन वैरियों पर,, #धावत--धावा बोलो,, उन्हें सबक सिखाओ,,
वेद के ऋषि कह रहे हैं कि कब तक भागोगे??कहाँ कहाँ से भागोगे??किस किस अवस्था में भागोगे??,,डट जाओ,, वापस मुड़ो,, #प्रतिकार करो,, धावा बोलो,,
काश्मीर फाइल्स देखो,, उसके बाद रोते बिलबिलाते मत जाओ इधर उधर,, इस वेदमन्त्र का स्मरण करो,, यह मंत्र हर सनातनी की जबान पर होना चाहिए और #धर्मध्वजा थामने का बल भुजाओं में,, हम इतिहास बनकर रह जाने के लिए इस पृथ्वी पर नहीं हैं,, इतिहास #बनाने के लिए इस धरा पर आए हैं,,
वीर भोग्ये वसुंधरा--यह धरती वीरों के भोग के लिए है,, आपके हमारे #पूर्वजों ने इसे लाखों लाखों बार सिद्ध किया है,,अब बारी हमारी है,,वेदमन्त्र को फिर से पढ़ो,, कंठस्थ कर लो,, क्योंकि बार बार इसकी जरूरत पड़ने वाली है,,
जयकारा वीर #बजरंगी का--हर हर महादेव
*सूर्यदेव*
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