Posts

Showing posts from October, 2022

ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमुदच्यते। पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते॥

#हम_ये_क्यूं_नहीं_कर_सकते_? उपनिषद' में आया है- ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमुदच्यते। पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते॥ यहाँ जिस पूर्ण की बात हो रही है उसमें ऋषि ईश्वर को देखता है पर मैं इस पूर्ण को 'हिंदुत्व' से निरूपित करता हूँ और मैं ऐसा इसलिये करता हूँ क्योंकि इस पूर्ण से कुछ भी जुड़ गया या इस पूर्ण से कुछ निकल गया तो भी इसका स्वरुप आज तक परिवर्तित नहीं हुआ। इस महासागर से न जाने कितने पंथ निकले, इसके अंदर से कितने मत चल पड़े, कम से कम छह दर्शन विकसित हुये पर इससे न तो इसका मूल स्वरुप बदला और न ही इससे निकलने वाले मत-पंथों और दर्शनों की मूल चिंतन में विकृति आई। 'हिंदुत्व' का मूल दर्शन क्या है? क्यों मैं इसे ही उपनिषद में प्रयुक्त "पूर्ण" के अंदर रखता हूँ? 'हिंदुत्व' का मूल दर्शन है कि 'हरेक रास्ता सत्य की ओर जाता है' और इन सारे रास्तों के समन्यवक का नाम है हिंदुत्व। इसलिये आस्था हमारे धर्म का आधार नहीं है, हमारे धर्म का आधार है 'अनुभूति', जो इसे सबसे अलग कर विशिष्ट बना देता है। जिन लोगों ने अपने आँखों पर 'सेमेटिक दृ...

इन्होंने ORS घोल का आविष्कार किया, जिसने अभी तक न केवल लाखों शिशुओं को निश्चित मृत्यु से बचाया बल्कि बड़े लोगों का भी पूर्ण ख्याल रखा …. 1934 में अविभाजित भारत के तत्कालीन किशोरगंज में पैदा हुए इस विभूति ने भारत में पढ़ाई किया और फिर अनुसंधान किया ….. 1971 के बांग्लादेश मुक्ति के समय जब कालरा बीमारी फैली तो उन्होंने इस घोल से लाखों बांग्लादेशी बच्चों का जीवन बचाया ….  अन्तरराष्ट्रीय अनुसंधान पत्रिका लैंसेट ने इसे बीसवीं सदी की सबसे बड़ी चिकित्सा सफलता करार दिया था … लेकिन नोबेल की तो बात ही छोड़िए, उन्हें कभी भारत का पद्म पुरस्कार भी नहीं मिला …. . वह थे महान डॉक्टर दिलीप महालनोबिस ….. कल कलकत्ता के एक हस्पताल में उनकी मृत्यु हो गई …. ईश्वर इस महान विभूति को अपने चरणों में स्थान दे …. ॐ शान्ति शान्ति …

Image
इन्होंने ORS घोल का आविष्कार किया, जिसने अभी तक न केवल लाखों शिशुओं को निश्चित मृत्यु से बचाया बल्कि बड़े लोगों का भी पूर्ण ख्याल रखा …. 1934 में अविभाजित भारत के तत्कालीन किशोरगंज में पैदा हुए इस विभूति ने भारत में पढ़ाई किया और फिर अनुसंधान किया ….. 1971 के बांग्लादेश मुक्ति के समय जब कालरा बीमारी फैली तो उन्होंने इस घोल से लाखों बांग्लादेशी बच्चों का जीवन बचाया ….  अन्तरराष्ट्रीय अनुसंधान पत्रिका लैंसेट ने इसे बीसवीं सदी की सबसे बड़ी चिकित्सा सफलता करार दिया था … लेकिन नोबेल की तो बात ही छोड़िए, उन्हें कभी भारत का पद्म पुरस्कार भी नहीं मिला ….   .   वह थे महान डॉक्टर दिलीप महालनोबिस ….. कल कलकत्ता के एक हस्पताल में उनकी मृत्यु हो गई …. ईश्वर इस महान विभूति को अपने चरणों में स्थान दे …. ॐ शान्ति शान्ति … Preserving the most prestigious, सब वेदों का सार, प्रभू विष्णु के भिन्न अवतार...... Shrimad Bhagwad Mahapuran 🕉 For queries mail us at: shrimadbhagwadpuran@gmail.com. Suggestions are welcome! Find the truthfulness in you, get the real you, power up yourself...