इन्होंने ORS घोल का आविष्कार किया, जिसने अभी तक न केवल लाखों शिशुओं को निश्चित मृत्यु से बचाया बल्कि बड़े लोगों का भी पूर्ण ख्याल रखा …. 1934 में अविभाजित भारत के तत्कालीन किशोरगंज में पैदा हुए इस विभूति ने भारत में पढ़ाई किया और फिर अनुसंधान किया ….. 1971 के बांग्लादेश मुक्ति के समय जब कालरा बीमारी फैली तो उन्होंने इस घोल से लाखों बांग्लादेशी बच्चों का जीवन बचाया …. अन्तरराष्ट्रीय अनुसंधान पत्रिका लैंसेट ने इसे बीसवीं सदी की सबसे बड़ी चिकित्सा सफलता करार दिया था … लेकिन नोबेल की तो बात ही छोड़िए, उन्हें कभी भारत का पद्म पुरस्कार भी नहीं मिला …. . वह थे महान डॉक्टर दिलीप महालनोबिस ….. कल कलकत्ता के एक हस्पताल में उनकी मृत्यु हो गई …. ईश्वर इस महान विभूति को अपने चरणों में स्थान दे …. ॐ शान्ति शान्ति …
इन्होंने ORS घोल का आविष्कार किया, जिसने अभी तक न केवल लाखों शिशुओं को निश्चित मृत्यु से बचाया बल्कि बड़े लोगों का भी पूर्ण ख्याल रखा …. 1934 में अविभाजित भारत के तत्कालीन किशोरगंज में पैदा हुए इस विभूति ने भारत में पढ़ाई किया और फिर अनुसंधान किया ….. 1971 के बांग्लादेश मुक्ति के समय जब कालरा बीमारी फैली तो उन्होंने इस घोल से लाखों बांग्लादेशी बच्चों का जीवन बचाया …. अन्तरराष्ट्रीय अनुसंधान पत्रिका लैंसेट ने इसे बीसवीं सदी की सबसे बड़ी चिकित्सा सफलता करार दिया था … लेकिन नोबेल की तो बात ही छोड़िए, उन्हें कभी भारत का पद्म पुरस्कार भी नहीं मिला ….
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वह थे महान डॉक्टर दिलीप महालनोबिस ….. कल कलकत्ता के एक हस्पताल में उनकी मृत्यु हो गई …. ईश्वर इस महान विभूति को अपने चरणों में स्थान दे …. ॐ शान्ति शान्ति …
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