नाड़ी परीक्षण कैसे करें? PULSE DIAGNOSTIC।।

• प्राचीन समय से ही मनुष्य नाड़ी देखकर रोगों की पहचान करने का सिस्टम चला आ रहा है । प्राचीन काल में तो ऐसे भी वैद के जानकार हुए जो नाड़ी देखकर व्यक्ति के शरीर का हाल बता देते थे और गंभीर से गंभीर रोग की पहचान नाड़ी देखकर कर लेते थे।    • आज के समय विज्ञान प्रगति कर गया है और व्यक्ति के शरीर से जुड़ी कई सूक्ष्म बातों का ज्ञान कई अन्य परीक्षणों के तहत भी किया जाने लगा है लेकिन इन सब बातों के बावजूद नाड़ी विज्ञान का अपना खासा महत्व है और इसके संबंध में आम आदमी भी बहुत कुछ जानना चाहता है। आज हम इससे जुड़ी कुछ रोचक बातें आपको बताने जा रहे हैं।   नाड़ी की दर से पता लगाये आपको कौन सा रोग है?   • नाडी परीक्षा के बारे में शारंगधर संहिता ,भावप्रकाश ,योगरत्नाकर आदि ग्रंथों में वर्णन है। महर्षि सुश्रुत अपनी योगिक शक्ति से समस्त शरीर की सभी नाड़ियाँ देख सकते थे । ऐलोपेथी में तो पल्स सिर्फ दिल की धड़कन का पता लगाती है। पर ये इससे कहीं अधिक बताती है । आयुर्वेद में पारंगत वैद्य नाडी परीक्षा से रोगों का पता लगाते है । इससे ये पता चलता है की कौनसा दोष शरीर में विद्यमान है । ये बिना किसी महँगी और तकलीफदायक डायग्नोस्टिक तकनीक के बिलकुल सही निदान करती है । जैसे की शरीर में कहाँ कितने साइज़ का ट्यूमर है, किडनी खराब है या ऐसा ही कोई भी जटिल से जटिल रोग का पता चल जाता है । दक्ष वैद्य हफ्ते भर पहले क्या खाया था ये भी बता देतें है । भविष्य में क्या रोग होने की संभावना है ये भी पता चलता है ।   पुरुष के दाहिने हाथ की तो स्त्री के बांए हाथ की नाड़ी देखने का चलन अधिक   • वैद्य पुरुष के दाहिने हाथ की नाड़ी देखकर और स्त्री के बाएं हाथ की नाड़ी देखकर रोग की पहचान करते हैं। हालांकि कुछ वैद पुरुष स्त्री के दोनों हाथ की नाड़ी भी देखकर रोगों का ज्ञान प्राप्त करते हैं।   आखिर कब देखनी चाहिए नाड़ी   • किसी व्यक्ति को कौन सा रोग है यह जानने के लिए सबसे सही समय सुबह माना जाता है और इस समय रोगी को खाली पेट रहकर ही वैद के पास जाना होता है।   सुबह के समय ही क्यों ?   • नाड़ी सुबह के समय देखना अधिक उचित इसलिए रहता है क्योंकि यही वह समय होता है जब मानव शरीर की वात,पित और कफ तीनों की नाड़ियां सामान्य रुप मे चलती हैं। गौरतलब है कि जब भी हमारे शरीर में त्रिधातुओं का अनुपात अंसतुलित हो जाता है तो मानव शरीर रोगग्रस्त हो जाता है। हमारे शरीर में वात,कफ और पित्त त्रिधातु पाई जाती है,इनके अनुपात में असंतुलन आने पर ही शरीर स्वस्थ नहीं रहता है।   कहां कौन सी नाड़ी होती है   • वात नाड़ी : अंगूठे की जड़ में   • पित्त नाड़ी : दूसरी उंगली के नीचे   • कफ नाड़ी : तीसरी उंगली के नीचे   रोगों के संबंध में क्या कहता है नाड़ी विज्ञान   • मानसिक रोग,टेंशन,भय,गुस्सा, प्यास लगने के समय नाड़ी की गति काफी तेज और गर्म चाल से चलती है।   • कसरत और मेहनत वाले काम के समय भी इसकी गति काफी तेज होती है   • गर्भवती स्त्री की नाड़ी भी तेज चलती है।   • किसी व्यक्ति की नाड़ी अगर रुक रुक कर चल रही हो तो उसे असाध्य रोग होने की संभावना अधिक रहती है।   • क्षय रोगों में नाड़ी की गति मस्त चाल वाली होती है। जबकि अतिसार में यह काफी स्लो गति से चलती है।   नाड़ी कब और कैसे देखे    • महिलाओं का बाया और पुरुषों का दाया हाथ देखा जाता है ।   • कलाई के अन्दर अंगूठे के नीचे जहां पल्स महसूस होती है तीन उंगलियाँ रखी जाती है ।   • अंगूठे के पास की ऊँगली में वात , मध्य वाली ऊँगली में पित्त और अंगूठे से दूर वाली ऊँगली में कफ महसूस किया जा सकता है ।   • वात की पल्स अनियमित और मध्यम तेज लगेगी ।   • पित्त की बहुत तेज पल्स महसूस होगी ।   • कफ की बहुत कम और धीमी पल्स महसूस होगी ।   • तीनो उंगलियाँ एक साथ रखने से हमें ये पता चलेगा की कौनसा दोष अधिक है ।   • प्रारम्भिक अवस्था में ही उस दोष को कम कर देने से रोग होता ही नहीं ।   • हर एक दोष की भी 8 प्रकार की पल्स होती है। जिससे रोग का पता चलता है , इसके लिए अभ्यास की ज़रुरत होती है ।   • कभी कभी 2 या 3 दोष एक साथ हो सकते है ।   • नाडी परीक्षा अधिकतर सुबह उठकर आधे एक घंटे बाद करते है जिससे हमें अपनी प्रकृति के बारे में पता चलता है । ये भूख- प्यास , नींद , धुप में घुमने , रात्री में टहलने से ,मानसिक स्थिति से , भोजन से , दिन के अलग अलग समय और मौसम से बदलती है ।   • चिकित्सक को थोड़ा आध्यात्मिक और योगी होने से मदद मिलती है . सही निदान करने वाले नाडी पकड़ते ही तीन सेकण्ड में दोष का पता लगा लेते है । वैसे 30 सेकण्ड तक देखना चाहिए ।   • मृत्यु नाडी से कुशल वैद्य भावी मृत्यु के बारे में भी बता सकते है ।   • आप किस प्रकृति के है ? –वात प्रधान , पित्त प्रधान या कफ प्रधान या फिर मिश्र ? खुद कर के देखे या किसी वैद्य से पता कर के देखिये।

नाड़ी परीक्षण कैसे करें? PULSE DIAGNOSTIC।।





• Since ancient times, the system of identifying diseases by looking at human pulse has been going on. In ancient times, there were such knowledgeable people of Vedas who used to tell the condition of a person's body by looking at the pulse and could identify serious diseases by looking at the pulse.

 • In today's time, science has progressed and knowledge of many subtle things related to a person's body is also being done under many other tests, but in spite of all these things, pulse science has its own special importance and the common man is also aware of it. wants to know a lot. Today we are going to tell you some interesting things related to it.

 Find out from the pulse rate, which disease do you have?

 • There is description about Nadi Pariksha in Sharangdhar Samhita, Bhavprakash, Yogaratnakar etc. texts. Maharishi Sushruta could see all the pulses of the whole body with his yogic power. In allopathy, the pulse only detects the heartbeat. But it tells much more than that. Doctors well versed in Ayurveda detect diseases by pulse examination. From this it is known that which dosha is present in the body. It gives accurate diagnosis without any expensive and troublesome diagnostic techniques. For example, where in the body there is a tumor of what size, whether the kidney is bad or any such complex disease can be detected. Daksh Vaidya also tells what he had eaten a week ago. It is also known that what disease is likely to occur in the future.

 It is more common to see the pulse of a woman's left hand than that of a man's right hand.

 • Doctors identify the disease by looking at the pulse of the right hand of a man and pulse of the left hand of a woman. However, some Vedic men obtain knowledge of diseases by looking at the pulse of both the hands of a woman.

 After all, when should the pulse be seen

 • Morning is considered to be the best time to know which disease a person has and at this time the patient has to go to the Vaid with an empty stomach.

 Why only in the morning?


 • It is more appropriate to see the pulse in the morning because this is the time when all the three pulses of the human body, Vata, Pitta and Kapha, run normally. It is noteworthy that whenever the ratio of tridhatus in our body becomes unbalanced, then the human body becomes diseased. Vata, Kapha and Pitta tridhatu are found in our body, the body does not remain healthy only when there is an imbalance in their proportion.

 where is which pulse

 • Vata Nadi: at the root of the thumb

 Pitta Nadi: Under the second finger

 Kapha nadi: below the third finger

 What does pulse science say about diseases?


 • At the time of mental illness, tension, fear, anger, thirst, the speed of the pulse moves very fast and hot.

 • Its speed is very fast even during exercise and hard work

 • The pulse of a pregnant woman also moves fast.

 • If a person's pulse is running intermittently, then there are more chances of incurable diseases.

 • In tuberculosis, the speed of the pulse is fast. Whereas in diarrhoea, it moves very slowly.

 When and how to see pulse


 • Women's left hand and men's right hand are seen.

 • Three fingers are placed inside the wrist below the thumb where the pulse is felt.

 • Vata can be felt in the finger near the thumb, Pitta in the middle finger and Kapha in the finger away from the thumb.

 • The pulse of Vata will be irregular and moderately fast.

 • Very fast pulse of bile will be felt.

 • Very low and slow pulse of the cuff will be felt.

 • By keeping all the three fingers together, we will know which defect is more.

 • By reducing that defect in the initial stage itself, the disease does not occur.

 • Each dosha also has 8 types of pulse. By which the disease is detected, practice is needed for this.

 • Sometimes 2 or 3 defects can occur together.

 • Nadi Pariksha is mostly done after half an hour after waking up in the morning, so that we get to know about our nature. It changes due to hunger-thirst, sleep, walking in the sun, walking in the night, mental state, food, different times of the day and weather.

 • It helps for the doctor to be a little spiritual and a yogi. Right diagnosticians can detect the defect in three seconds as soon as they touch the pulse. Anyway, you should watch for 30 seconds.

 • Skilled doctors can also tell about future death from the death pulse.

 • What nature are you? - Vata predominant, Pitta predominant or Kapha predominant or mixed? Try it yourself or check with a doctor.

प्राचीन समय से ही मनुष्य नाड़ी देखकर रोगों की पहचान करने का सिस्टम चला आ रहा है । प्राचीन काल में तो ऐसे भी वैद के जानकार हुए जो नाड़ी देखकर व्यक्ति के शरीर का हाल बता देते थे और गंभीर से गंभीर रोग की पहचान नाड़ी देखकर कर लेते थे। 

• आज के समय विज्ञान प्रगति कर गया है और व्यक्ति के शरीर से जुड़ी कई सूक्ष्म बातों का ज्ञान कई अन्य परीक्षणों के तहत भी किया जाने लगा है लेकिन इन सब बातों के बावजूद नाड़ी विज्ञान का अपना खासा महत्व है और इसके संबंध में आम आदमी भी बहुत कुछ जानना चाहता है। आज हम इससे जुड़ी कुछ रोचक बातें आपको बताने जा रहे हैं।

नाड़ी की दर से पता लगाये आपको कौन सा रोग है?

• नाडी परीक्षा के बारे में शारंगधर संहिता ,भावप्रकाश ,योगरत्नाकर आदि ग्रंथों में वर्णन है। महर्षि सुश्रुत अपनी योगिक शक्ति से समस्त शरीर की सभी नाड़ियाँ देख सकते थे । ऐलोपेथी में तो पल्स सिर्फ दिल की धड़कन का पता लगाती है। पर ये इससे कहीं अधिक बताती है । आयुर्वेद में पारंगत वैद्य नाडी परीक्षा से रोगों का पता लगाते है । इससे ये पता चलता है की कौनसा दोष शरीर में विद्यमान है । ये बिना किसी महँगी और तकलीफदायक डायग्नोस्टिक तकनीक के बिलकुल सही निदान करती है । जैसे की शरीर में कहाँ कितने साइज़ का ट्यूमर है, किडनी खराब है या ऐसा ही कोई भी जटिल से जटिल रोग का पता चल जाता है । दक्ष वैद्य हफ्ते भर पहले क्या खाया था ये भी बता देतें है । भविष्य में क्या रोग होने की संभावना है ये भी पता चलता है ।

पुरुष के दाहिने हाथ की तो स्त्री के बांए हाथ की नाड़ी देखने का चलन अधिक

• वैद्य पुरुष के दाहिने हाथ की नाड़ी देखकर और स्त्री के बाएं हाथ की नाड़ी देखकर रोग की पहचान करते हैं। हालांकि कुछ वैद पुरुष स्त्री के दोनों हाथ की नाड़ी भी देखकर रोगों का ज्ञान प्राप्त करते हैं।

आखिर कब देखनी चाहिए नाड़ी

• किसी व्यक्ति को कौन सा रोग है यह जानने के लिए सबसे सही समय सुबह माना जाता है और इस समय रोगी को खाली पेट रहकर ही वैद के पास जाना होता है।

सुबह के समय ही क्यों ?

• नाड़ी सुबह के समय देखना अधिक उचित इसलिए रहता है क्योंकि यही वह समय होता है जब मानव शरीर की वात,पित और कफ तीनों की नाड़ियां सामान्य रुप मे चलती हैं। गौरतलब है कि जब भी हमारे शरीर में त्रिधातुओं का अनुपात अंसतुलित हो जाता है तो मानव शरीर रोगग्रस्त हो जाता है। हमारे शरीर में वात,कफ और पित्त त्रिधातु पाई जाती है,इनके अनुपात में असंतुलन आने पर ही शरीर स्वस्थ नहीं रहता है।

कहां कौन सी नाड़ी होती है

• वात नाड़ी : अंगूठे की जड़ में

• पित्त नाड़ी : दूसरी उंगली के नीचे

• कफ नाड़ी : तीसरी उंगली के नीचे

रोगों के संबंध में क्या कहता है नाड़ी विज्ञान

• मानसिक रोग,टेंशन,भय,गुस्सा, प्यास लगने के समय नाड़ी की गति काफी तेज और गर्म चाल से चलती है।

• कसरत और मेहनत वाले काम के समय भी इसकी गति काफी तेज होती है

• गर्भवती स्त्री की नाड़ी भी तेज चलती है।

• किसी व्यक्ति की नाड़ी अगर रुक रुक कर चल रही हो तो उसे असाध्य रोग होने की संभावना अधिक रहती है।

• क्षय रोगों में नाड़ी की गति मस्त चाल वाली होती है। जबकि अतिसार में यह काफी स्लो गति से चलती है।

नाड़ी कब और कैसे देखे 

• महिलाओं का बाया और पुरुषों का दाया हाथ देखा जाता है ।

• कलाई के अन्दर अंगूठे के नीचे जहां पल्स महसूस होती है तीन उंगलियाँ रखी जाती है ।

• अंगूठे के पास की ऊँगली में वात , मध्य वाली ऊँगली में पित्त और अंगूठे से दूर वाली ऊँगली में कफ महसूस किया जा सकता है ।

• वात की पल्स अनियमित और मध्यम तेज लगेगी ।

• पित्त की बहुत तेज पल्स महसूस होगी ।

• कफ की बहुत कम और धीमी पल्स महसूस होगी ।

• तीनो उंगलियाँ एक साथ रखने से हमें ये पता चलेगा की कौनसा दोष अधिक है ।

• प्रारम्भिक अवस्था में ही उस दोष को कम कर देने से रोग होता ही नहीं ।

• हर एक दोष की भी 8 प्रकार की पल्स होती है। जिससे रोग का पता चलता है , इसके लिए अभ्यास की ज़रुरत होती है ।

• कभी कभी 2 या 3 दोष एक साथ हो सकते है ।

• नाडी परीक्षा अधिकतर सुबह उठकर आधे एक घंटे बाद करते है जिससे हमें अपनी प्रकृति के बारे में पता चलता है । ये भूख- प्यास , नींद , धुप में घुमने , रात्री में टहलने से ,मानसिक स्थिति से , भोजन से , दिन के अलग अलग समय और मौसम से बदलती है ।

• चिकित्सक को थोड़ा आध्यात्मिक और योगी होने से मदद मिलती है . सही निदान करने वाले नाडी पकड़ते ही तीन सेकण्ड में दोष का पता लगा लेते है । वैसे 30 सेकण्ड तक देखना चाहिए ।

• मृत्यु नाडी से कुशल वैद्य भावी मृत्यु के बारे में भी बता सकते है ।

• आप किस प्रकृति के है ? –वात प्रधान , पित्त प्रधान या कफ प्रधान या फिर मिश्र ? खुद कर के देखे या किसी वैद्य से पता कर के देखिये।

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