भक्त और प्रकार ..

भक्त और प्रकार ..भगवान श्री राम के चार प्रमुख भक्त प्रत्यक्ष हैं ।



भक्त और प्रकार ..  भगवान श्री राम के चार प्रमुख भक्त प्रत्यक्ष हैं ।  लक्ष्मण जी   भरत जी   शत्रुघ्न जी   और हनुमान जी  इन चारों का मुख्य अन्तर समझिए  लक्ष्मण जी अनुगत भक्त हैं अर्थात् वह राम जी के साथ सदैव रहते हैं …  भरत जी , दास भक्त हैं । वह सदैव राम की आज्ञा और इच्छानुसार भक्ति करते हैं ।  शत्रुघ्न जी दासानुदास हैं । अर्थात् भरत जी के दास हैं और राम के दास भरत जी की दासता करके वे राम की सेवा करते हैं ।  और हनुमान जी रूद्र रूप हैं और वे रामभक्तों की सेवा सहायता करके राम भक्ति करते हैं ।  रूद्र का निरुक्त है “ जो रूलाता है “ ।  और रूद्र दो रूपों में ( ग्यारह प्रत्यक्ष होता है ) रहता है । एक रूप होता ( दस इंद्रिय द्वारा दस प्रकार के भोग को भोगना , वह आपको ज्ञात ही है जैसे आँख से रूप देखना , त्वचा से कोमल स्पर्श जीभ से स्वाद नाक से सुंगध लेना इत्यादि ) और दूसरा रूप होता है वैराग्य का ।  रावण ने रूद्र के दस स्वरूपों को तो सिद्ध कर लिया था पर उसने रूद्र के वैराग्य रूप की अवहेलना कर दी थी और वही ग्याहरवाँ रूप हनुमान जी के रूप में उसे रूलाने आ गया ।  हम सब राम भक्ति में दृढ़ हो जाएँ । मंगल शनिवार को छोटे छोटे ग्रूप बनाकर या घर में ही हनुमान चालीसा का पाठ करें । आपको पता ही नहीं चलेगा की आप कैसे बलशाली होते जा रहे हैं । ध्यान दें आसुरी संपदा से निपटने के लिए हम सबको सामूहिक रूप से दैवीय संपदा अर्जित करनी पड़ेगी । नास्तिकों को भी जीवन से दूर करते रहें । एक नास्तिक भगाना अर्थात् जीवन में एक और दैवीय सम्पदा का अर्जन ।  जय जय श्री राम   हर हर महादेव

लक्ष्मण जी  

भरत जी  

शत्रुघ्न जी  

और हनुमान जी


इन चारों का मुख्य अन्तर समझिए


लक्ष्मण जी अनुगत भक्त हैं अर्थात् वह राम जी के साथ सदैव रहते हैं …


भरत जी , दास भक्त हैं । वह सदैव राम की आज्ञा और इच्छानुसार भक्ति करते हैं ।


शत्रुघ्न जी दासानुदास हैं । अर्थात् भरत जी के दास हैं और राम के दास भरत जी की दासता करके वे राम की सेवा करते हैं ।


और हनुमान जी रूद्र रूप हैं और वे रामभक्तों की सेवा सहायता करके राम भक्ति करते हैं ।


रूद्र का निरुक्त है “ जो रूलाता है “ ।


और रूद्र दो रूपों में ( ग्यारह प्रत्यक्ष होता है ) रहता है । एक रूप होता ( दस इंद्रिय द्वारा दस प्रकार के भोग को भोगना , वह आपको ज्ञात ही है जैसे आँख से रूप देखना , त्वचा से कोमल स्पर्श जीभ से स्वाद नाक से सुंगध लेना इत्यादि ) और दूसरा रूप होता है वैराग्य का ।

रावण ने रूद्र के दस स्वरूपों को तो सिद्ध कर लिया था पर उसने रूद्र के वैराग्य रूप की अवहेलना कर दी थी और वही ग्याहरवाँ रूप हनुमान जी के रूप में उसे रूलाने आ गया ।

हम सब राम भक्ति में दृढ़ हो जाएँ । मंगल शनिवार को छोटे छोटे ग्रूप बनाकर या घर में ही हनुमान चालीसा का पाठ करें । आपको पता ही नहीं चलेगा की आप कैसे बलशाली होते जा रहे हैं । ध्यान दें आसुरी संपदा से निपटने के लिए हम सबको सामूहिक रूप से दैवीय संपदा अर्जित करनी पड़ेगी । नास्तिकों को भी जीवन से दूर करते रहें । एक नास्तिक भगाना अर्थात् जीवन में एक और दैवीय सम्पदा का अर्जन ।

जय जय श्री राम  
हर हर महादेव

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