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वयं पुरोहिता राष्ट्रं जाग्रयामः #hinduism #sanatana #sarv_dharma_brahma

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स्वामी सूर्यदेव जी की वॉल से वयं पुरोहिता राष्ट्रं जाग्रयामः हम पुरोहित हैं,, हम #राष्ट्रदेव को जागृत रखते हैं,, कोई भी राष्ट्र जागृत रहता है उसमें रहने वाली प्रजा से,, वह सोई पड़ी है वह मूढ़ है वह स्वार्थों में घिरी है,,तो आज नहीं कल राष्ट्र भी विपत्तियों में घिर जाएगा,, वेदमन्त्र है--संशितं म इदं ब्रह्म संशितं वीर्यम बलम l संशितं क्षत्रमजरमस्तु जिष्णुर्योंषामस्मि पुरोहित:--३-१९-१ #अथर्ववेद,,--मेरा ज्ञान अत्यंत तीक्ष्ण है,, शत्रुदमन शक्ति और स्वरक्षणबल भी तीक्ष्ण है यानी offensive & defensive system,,, जिन लोगों का मुझ जैसा जयशील अगुआ है,, उन्हें मार्ग दिखाने वाला है,, उनका खुद का यानी मेरे यजमान का भी सामर्थ्य न दबने वाला यानी उग्र यानी आक्रामक यानी #शीलयुक्त प्रतिकार करने का बल उनमें भी होगा ही होगा,, पुरोहित का अर्थ होता है अगुआ,,मार्गदर्शक,, ऐसा मार्ग बताने वाला जो सिर्फ तुम्हारे हित की सोचता है हमेशा,, सदैव तुम्हारा हित चाहता है,,   #वैदिक काल में ऐसे ही #पुरोहित होते थे,, वेदमन्त्र में पुरोहित ललकार कर कह रहा है कि मेरे होते मेरे यजमानों का #पराभव,, पराजय असम्भव है,, ...

सनातन धर्म।।दान का महत्व।।

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स्वामी सूर्यदेव जी की वॉल से वाह क्या प्रश्न पूछा है,,, अभी सप्ताह भर #आगरा में रहकर आया,, अपना काम है जहां जाएं वहां सुबह शाम पार्क में, मंदिर में या अन्य सड़क चौराहे पर लोगो को #वेद उपनिषद शास्त्रों आयुर्वेद आदि के प्रसंग सुनाना और जिज्ञासाओं का समाधान करना,, तो यहां आगरा में भी जहां रुका था वहां सुबह सुबह लोग घूमने आते थे फिर एक घण्टा सत्संग शंका समाधान चलता था,, एक #आर्यसमाजी भाई ने पूछा--महाराज जी समाज बिल्कुल बिगड़ नहीं गया है??अरे जहां दान देना चाहिए वहां देते नहीं जहां नहीं देना चाहिए वहां देते रहते हैं,, आपके क्या विचार हैं?? मैंने पूछा स्पष्ट करिए कहाँ देना चाहिए और नहीं देते??कहाँ नहीं देना चाहिए और देते हैं??   उसने कहा कि #वृद्धआश्रमों में,,अनाथालयों आदि में देना चाहिए वहां नहीं देते और मंदिर में नहीं देना चाहिए वहां देते हैं,,अरे भगवान खुद सबको खिलाने वाले हैं देने वाले हैं उनको भला हम क्या दे सकते हैं?? मैं तुरन्त समझ गया कि यह सवाल इसकी बुद्धि की उपज नहीं है,,यह किसी #वामपंथी लिबरल #कुबुद्धिजीवी कीड़े का प्रश्न है जो उसने लोगो के दिमाग में प्लांट कर दिया है जो इनक...

The Vishnu temple of Angkor Vat itself is 4 times the size of Vatican City !!

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The Vishnu temple of Angkor Vat itself is 4 times the size of Vatican City !!   Agar ye bhi India mai hota toh sab sanskriti ko dafn kr k idher bhi masjid khadi kar di gyi hoti🙏 Angkor Wat (in Khmer language temple of the capital) is a Khmer temple, located in the archaeological site of Angkor, Cambodia, near the city of Siem Reap.  'Angkor' is the dialectal form of the word 'nokor' which derives from the Sanskrit 'nagara' (capital), while 'wat' is the Khmer term for temple. Angkor Wat temple The temple was built by King Suryavarman II (1113-1150).  The king ordered the gigantic construction to start from 4 sides at the same time, so that it was completed in less than 40 years.  The most likely hypothesis is that it is a mausoleum, a place where the king could have been venerated after his death.  In fact, the main entrance is located to the west, as in the funerary temples, and not to the east, as is customary for Hindu temples.  The temple is ...

थाली में क्यों नहीं परोसी जाती हैं 3 रोटियां?इसके पीछे कि क्या वजह है आइए आपको बताते हैं।

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थाली में क्यों नहीं परोसी जाती हैं 3 रोटियां? पढ़ लेंगे तो अबसे नहीं करेंगे ये काम थाली में या तो हम 2 रोटी परोसते हैं या फिर 4, तीन रोटी नहीं परोसी जाती है। इसके पीछे कि क्या वजह है आइए आपको बताते हैं। अक्सर आपने घर के बड़े-बुजुर्गों को कहते सुना होगा कि प्लेट में तीन रोटी मत रखो। कभी भी प्रसाद में तीन फल, तीन मिठाई भी नहीं रखी जाती है। आखिर इसका क्या कारण है? हिंदू धर्म में कई तरह की मान्यताएं हैं, पूजा-पाठ से लेकर खाने-पीने और उठने-बैठने तक हर चीज का एक नियम एक कायदा होता है, जो हमारी संस्कृति में है और हमें अपने बुजुर्गों से सुनने को मिलता है। कई चीजें शुभ होती हैं और कई चीजें अशुभ। ऐसे ही 3 को शुभ नहीं माना जाता है। थाली में या तो हम 2 रोटी परोसते हैं या फिर 4, तीन रोटी नहीं परोसी जाती है। इसके पीछे कि क्या वजह है आइए आपको बताते हैं। मान्यता है कि थाली में 3 रोटी रखना यानी कि मृतक का भोज लगाना। आपने देखा होगा कि त्रयोदशी संस्कार में जब थाली लगाई जाती...

#thekashmirfiles एक मुसलमान साहित्यकार एम इकराम फ़रीदी की नजर से #कश्मीर_फाइल्स

ये डैमेज कन्ट्रोल करने वाले मुसलमान हैं. इनकी चिंता यह नहीं है कि इस्लाम क्या करता है. इनकी चिंता यह है कि इसके विरुद्ध प्रतिक्रिया को कैसे मिनिमाइज किया जाए? #thekashmirfiles   एक मुसलमान साहित्यकार  एम इकराम फ़रीदी की नजर से #कश्मीर_फाइल्स यह एक होनी की शुरुआत है | इसको टाला नहीं जा सकता | जितना टाला जाएगा उतने प्रतिशत ब्याज के साथ इसकी वापसी होगी | निरंतर दमन की प्रक्रिया ज्वालामुखी का सबब बनती है | ऐसे बेशुमार पोस्टस और प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं जिसमें विवेक अग्निहोत्री पर प्रश्न खड़े किये जा रहे हैं कि एक सुनियोजित, षणयंत्रकारी , असंतुलित और गैरजिम्मेदाराना मूवी बनायी है जो सिनेमा हाल का माहौल इतना गर्मा देती है कि भीड़ उत्तेजित होकर नारे लगाने लगती है , भीड़ जार जार रोने लगती है और एक समुदाय विशेष को अपना दुश्मन नंबर वन मानने लगती है | लोगों का आरोप है कि फिल्म को जिम्मेदारी से और संतुलित सामग्री के साथ बनाना चाहिए था ----- मगर नहीं ------- कब तक कवरअप करोगे ? कब तक ढापोगे ? सच्चाई सामने आने में कितनी देर लगाओगे ? उतना ब्याज चुकाना पड़ेगा और खून का ब्याज खून होत...

क्या आप जानते है 18 पुराणों में कितने पद्म है ?

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क्या आप जानते है 18 पुराणों में कितने पद्म है ? 1. विष्णु पुराण-तेईस हजार पद्य (23,000)   2. नारद पुराण- पच्चीस हजार पद्य (25,000) 3. पद्म पुराण- पचपन हजार पद्य (55,000) 4. गरुड़ पुराण- उन्नीस हजार पद्य (19,000) 5. वराह पुराण- चौबीस हजार पद्य (24,000) 6. श्रीमद्भागवद् पुराण- अठारह हजार पद्य (18,000) 7. ब्रह्माण्ड पुराण- बारह हजार पद्य (12,000) 8. ब्रह्मवैवर्त पुराण- अठारह हजार पद्य (18,000) 9. मार्कण्डेय पुराण- नौ हजार पद्य (9,000) 10. भविष्य पुराण- चौदह हजार पांच सौ पद्य (14,500) 11. वामन पुराण- दस हजार पद्य (10,000) 12. ब्रह्म पुराण- दस हजार पद्य (10,000) 13. मत्स्य पुराण- चौदह हजार पद्य (14,000) 14. कुर्म पुराण-सत्रह हजार पद्य (17,000) 15. लिंग पुराण - ग्यारह हजार पद्य (11,000) 16. शिव पुराण-चौबीस हजार पद्य (24,000) 17. स्कंद पुराण- इक्यासी हजार एक सौ पद्य (81, 100 ) 18. अग्नि पुराण- पन्द्रह हजार चार सौ पद्य (15,400) Preserving the most prestigious, सब वेदों का सार, प्रभू विष्णु के भिन्न अवतार...... Shrimad Bhagwad Mahapuran 🕉 For queries mail us at: shrimadbhagwadpuran@g...

भक्त और प्रकार ..

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भक्त और प्रकार ..भगवान श्री राम के चार प्रमुख भक्त प्रत्यक्ष हैं । लक्ष्मण जी   भरत जी   शत्रुघ्न जी   और हनुमान जी इन चारों का मुख्य अन्तर समझिए लक्ष्मण जी अनुगत भक्त हैं अर्थात् वह राम जी के साथ सदैव रहते हैं … भरत जी , दास भक्त हैं । वह सदैव राम की आज्ञा और इच्छानुसार भक्ति करते हैं । शत्रुघ्न जी दासानुदास हैं । अर्थात् भरत जी के दास हैं और राम के दास भरत जी की दासता करके वे राम की सेवा करते हैं । और हनुमान जी रूद्र रूप हैं और वे रामभक्तों की सेवा सहायता करके राम भक्ति करते हैं । रूद्र का निरुक्त है “ जो रूलाता है “ । और रूद्र दो रूपों में ( ग्यारह प्रत्यक्ष होता है ) रहता है । एक रूप होता ( दस इंद्रिय द्वारा दस प्रकार के भोग को भोगना , वह आपको ज्ञात ही है जैसे आँख से रूप देखना , त्वचा से कोमल स्पर्श जीभ से स्वाद नाक से सुंगध लेना इत्यादि ) और दूसरा रूप होता है वैराग्य का । रावण ने रूद्र के दस स्वरूपों को तो सिद्ध कर लिया था पर उसने रूद्र के वैराग्य रूप की अवहेलना कर दी थी और वही ग्याहरवाँ रूप हनुमान जी के रूप में उसे रूलाने आ गया । ...