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थाली में क्यों नहीं परोसी जाती हैं 3 रोटियां?इसके पीछे कि क्या वजह है आइए आपको बताते हैं।

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थाली में क्यों नहीं परोसी जाती हैं 3 रोटियां? पढ़ लेंगे तो अबसे नहीं करेंगे ये काम थाली में या तो हम 2 रोटी परोसते हैं या फिर 4, तीन रोटी नहीं परोसी जाती है। इसके पीछे कि क्या वजह है आइए आपको बताते हैं। अक्सर आपने घर के बड़े-बुजुर्गों को कहते सुना होगा कि प्लेट में तीन रोटी मत रखो। कभी भी प्रसाद में तीन फल, तीन मिठाई भी नहीं रखी जाती है। आखिर इसका क्या कारण है? हिंदू धर्म में कई तरह की मान्यताएं हैं, पूजा-पाठ से लेकर खाने-पीने और उठने-बैठने तक हर चीज का एक नियम एक कायदा होता है, जो हमारी संस्कृति में है और हमें अपने बुजुर्गों से सुनने को मिलता है। कई चीजें शुभ होती हैं और कई चीजें अशुभ। ऐसे ही 3 को शुभ नहीं माना जाता है। थाली में या तो हम 2 रोटी परोसते हैं या फिर 4, तीन रोटी नहीं परोसी जाती है। इसके पीछे कि क्या वजह है आइए आपको बताते हैं। मान्यता है कि थाली में 3 रोटी रखना यानी कि मृतक का भोज लगाना। आपने देखा होगा कि त्रयोदशी संस्कार में जब थाली लगाई जाती...

#thekashmirfiles एक मुसलमान साहित्यकार एम इकराम फ़रीदी की नजर से #कश्मीर_फाइल्स

ये डैमेज कन्ट्रोल करने वाले मुसलमान हैं. इनकी चिंता यह नहीं है कि इस्लाम क्या करता है. इनकी चिंता यह है कि इसके विरुद्ध प्रतिक्रिया को कैसे मिनिमाइज किया जाए? #thekashmirfiles   एक मुसलमान साहित्यकार  एम इकराम फ़रीदी की नजर से #कश्मीर_फाइल्स यह एक होनी की शुरुआत है | इसको टाला नहीं जा सकता | जितना टाला जाएगा उतने प्रतिशत ब्याज के साथ इसकी वापसी होगी | निरंतर दमन की प्रक्रिया ज्वालामुखी का सबब बनती है | ऐसे बेशुमार पोस्टस और प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं जिसमें विवेक अग्निहोत्री पर प्रश्न खड़े किये जा रहे हैं कि एक सुनियोजित, षणयंत्रकारी , असंतुलित और गैरजिम्मेदाराना मूवी बनायी है जो सिनेमा हाल का माहौल इतना गर्मा देती है कि भीड़ उत्तेजित होकर नारे लगाने लगती है , भीड़ जार जार रोने लगती है और एक समुदाय विशेष को अपना दुश्मन नंबर वन मानने लगती है | लोगों का आरोप है कि फिल्म को जिम्मेदारी से और संतुलित सामग्री के साथ बनाना चाहिए था ----- मगर नहीं ------- कब तक कवरअप करोगे ? कब तक ढापोगे ? सच्चाई सामने आने में कितनी देर लगाओगे ? उतना ब्याज चुकाना पड़ेगा और खून का ब्याज खून होत...

क्या आप जानते है 18 पुराणों में कितने पद्म है ?

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क्या आप जानते है 18 पुराणों में कितने पद्म है ? 1. विष्णु पुराण-तेईस हजार पद्य (23,000)   2. नारद पुराण- पच्चीस हजार पद्य (25,000) 3. पद्म पुराण- पचपन हजार पद्य (55,000) 4. गरुड़ पुराण- उन्नीस हजार पद्य (19,000) 5. वराह पुराण- चौबीस हजार पद्य (24,000) 6. श्रीमद्भागवद् पुराण- अठारह हजार पद्य (18,000) 7. ब्रह्माण्ड पुराण- बारह हजार पद्य (12,000) 8. ब्रह्मवैवर्त पुराण- अठारह हजार पद्य (18,000) 9. मार्कण्डेय पुराण- नौ हजार पद्य (9,000) 10. भविष्य पुराण- चौदह हजार पांच सौ पद्य (14,500) 11. वामन पुराण- दस हजार पद्य (10,000) 12. ब्रह्म पुराण- दस हजार पद्य (10,000) 13. मत्स्य पुराण- चौदह हजार पद्य (14,000) 14. कुर्म पुराण-सत्रह हजार पद्य (17,000) 15. लिंग पुराण - ग्यारह हजार पद्य (11,000) 16. शिव पुराण-चौबीस हजार पद्य (24,000) 17. स्कंद पुराण- इक्यासी हजार एक सौ पद्य (81, 100 ) 18. अग्नि पुराण- पन्द्रह हजार चार सौ पद्य (15,400) Preserving the most prestigious, सब वेदों का सार, प्रभू विष्णु के भिन्न अवतार...... Shrimad Bhagwad Mahapuran 🕉 For queries mail us at: shrimadbhagwadpuran@g...

भक्त और प्रकार ..

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भक्त और प्रकार ..भगवान श्री राम के चार प्रमुख भक्त प्रत्यक्ष हैं । लक्ष्मण जी   भरत जी   शत्रुघ्न जी   और हनुमान जी इन चारों का मुख्य अन्तर समझिए लक्ष्मण जी अनुगत भक्त हैं अर्थात् वह राम जी के साथ सदैव रहते हैं … भरत जी , दास भक्त हैं । वह सदैव राम की आज्ञा और इच्छानुसार भक्ति करते हैं । शत्रुघ्न जी दासानुदास हैं । अर्थात् भरत जी के दास हैं और राम के दास भरत जी की दासता करके वे राम की सेवा करते हैं । और हनुमान जी रूद्र रूप हैं और वे रामभक्तों की सेवा सहायता करके राम भक्ति करते हैं । रूद्र का निरुक्त है “ जो रूलाता है “ । और रूद्र दो रूपों में ( ग्यारह प्रत्यक्ष होता है ) रहता है । एक रूप होता ( दस इंद्रिय द्वारा दस प्रकार के भोग को भोगना , वह आपको ज्ञात ही है जैसे आँख से रूप देखना , त्वचा से कोमल स्पर्श जीभ से स्वाद नाक से सुंगध लेना इत्यादि ) और दूसरा रूप होता है वैराग्य का । रावण ने रूद्र के दस स्वरूपों को तो सिद्ध कर लिया था पर उसने रूद्र के वैराग्य रूप की अवहेलना कर दी थी और वही ग्याहरवाँ रूप हनुमान जी के रूप में उसे रूलाने आ गया । ...

जालियांबाला बाग़ काण्ड और मुसलमान

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जालियांबाला बाग़ काण्ड और मुसलमान   **************************************   कुछ दिन पहले मुसलमानो ने एक फोटो कमेंट के साथ एक स्टोरी वायरल की थी कि- इण्डिया गेट पर मुस्लिम स्वाधीनता सेनानियों के नाम लिखे हैं. अनपढ़ हो या पढ़ालिखा हर मुस्लमान बिना सच जाने उसे आगे बढ़ा रहा था लेकिन जब उनको उसका सच बताया गया तो मुँह छुपाते फिर रहे थे. ऐसे ही अब वो जलियांवाला बाग काण्ड को लेकर एक फर्जी स्टोरी ले आये हैं      उनका कहना है कि - जलियांवाला बाग काण्ड के वक्त ख़ान अब्दुल गफ्फार ख़ान ने कहा था कि - "अगर तुम  एक भी मुस्लिम की पीठ पर गोली दिखा दोगे तो मैं आजादी की जंग से दूर हो जाऊंगा.  2 दिन तक पोस्टमार्टम चला 76 मुस्लिमों की लाशें मिली और एक भी गोली पीठ पर नहीं लगी थी. अंग्रेज़ संघियों की तरह कमीने नही थे इसलिए  पोस्टमार्टम रिपोर्ट ईमानदारी से बनाई. उनकी यह कहानी भी इण्डिया गेट वाली कहानी की तरह झूठी है. 1857 की क्रान्ति के समय ही मुसलमानो को समझ आ गया था कि अब अगर देश आजाद हुआ तो उस पर कब्ज़ा हिन्दुओं का हो जाएगा. इसलिए आगाखान और सर सैय्यद जैसे म...

संजीवनी बूटी है यहl

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#संजीवनी बूटी है यह,,, हाँ सही समझे,, लेकिन सबके लिए नहीं सिर्फ ब्लड कैंसर वालों के लिए,,, #चकोतरा नाम है इसका,,हरिद्वार, #रुड़की में बहुत होता है,, रोड़ पर खूब बिकता मिलेगा कई किलोमीटर तक,,आप इसे एक बड़ा संतरा मान सकते हैं,,, एक बार हमारे गुरुकुल के कुछ ब्रह्मचारी भाइयों का ग्रुप #कर्नाटक घूमने गया था,,जिसमें मैं भी शामिल था,,वहाँ घने जंगल हैं जिन्हें BR Hills कहते हैं,,, उन्हीं जंगलों में घूमते घूमते एक साधु मिले थे,, तब बातचीत के दौरान उन्होंने सामने पेड़ की तरफ हाथ करके कहा था--देख रहे हो ब्रह्मचारी यह पेड़ और फल,,,#ब्लड कैंसर का यही एकमात्र उपचार है,,मैंने पूछा कैसे?? तब उसने कहा कि #एक महीने तक रोगी को और कुछ नहीं खाना है,, भूख लगे तो इसी फल को खाओ,, प्यास लगे तो इसी का जूस पीओ,, इसी का सलाद खाओ,, मतलब यह है कि जो कुछ भी करना है इसी से करो,, पूरे एक महीने तक,,,ब्लड कैंसर ठीक हो जाएगा,,, उसने यह बात इतने आत्मविश्वास से बताई थी कि ना करने का सवाल ही नहीं था,,, आज एक बहन Rakhi Mishra ने अपने पति की नाज़ुक हालत के बारे में लिखा तो मुझे यह बात सबको बताने की आवश्यकता हुई,,,,, इस पोस्ट पर तर्...

हम देखेंगे--#वैदिक दृष्टि से,,

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हम देखेंगे--#वैदिक दृष्टि से,, उत्तिष्ठत सं नह्यध्वमुदारा: केतुभि: सह l   सर्पा इतरजना: रक्षामस्यमित्राननु धावत ll  #अथर्ववेद--११-१०-१,, वेदमन्त्र कहता है--उदारा:-हे उदार पुरुषों,,चूंकि मुझे नहीं लगता कि #सनातनधर्मियों से उदार भी कोई होता होगा,, ये ऐसी गर्दन हैं जो #छुरे को चाहती हैं,, ये ऐसी भेड़ हैं जिनका कसाई से इश्क है,, ये ऐसी #घास हैं जिनकी घोड़े से दोस्ती है,,हमारी ही बात कर रहा है वेदमन्त्र,,   हे उदार पुरुषों,,बहुत हो चुकी उदारता,,#उत्तिष्ठत--उठ खड़े होओ,,सं #नह्यंध्वम--अपने लोहे के कवचों को पहन लो,, केतुभि:सह--धर्मध्वजाओं के साथ,, हे उदार पुरुषों बहुत हुआ तुम्हारे ऊपर पाप और अत्याचार,, अब धर्मध्वजा लेकर उठ खड़े हो,, कवचों को धारण कर महायुद्ध के लिए तैयार हो,, #सर्पा--सर्पों के समान जहरीली विचारधारा वाले यानी जो हमेशा तुम्हें डसने, तुम्हें मिटाने को घात लगाए बैठे हैं,, #इतरजना:--पामर जन,, यानी हरामी #लिबरलजन और विषैले वामपंथी कुबुद्धिजीवी,,#रक्षांसि--वे राक्षस जिन्होंने तुम्हारा सामुहिक नरसंहार किया,,फिर वो चाहे #कश्मीर में हो कैराना में, केरल में, #कंधार म...