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नाड़ी परीक्षण कैसे करें? PULSE DIAGNOSTIC।।

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नाड़ी परीक्षण कैसे करें? PULSE DIAGNOSTIC।। • Since ancient times, the system of identifying diseases by looking at human pulse has been going on. In ancient times, there were such knowledgeable people of Vedas who used to tell the condition of a person's body by looking at the pulse and could identify serious diseases by looking at the pulse.  • In today's time, science has progressed and knowledge of many subtle things related to a person's body is also being done under many other tests, but in spite of all these things, pulse science has its own special importance and the common man is also aware of it. wants to know a lot. Today we are going to tell you some interesting things related to it.  Find out from the pulse rate, which disease do you have?  • There is description about Nadi Pariksha in Sharangdhar Samhita, Bhavprakash, Yogaratnakar etc. texts. Maharishi Sushruta could see all the pulses of the whole body with his yogic power. In allopathy, the pulse only...

ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमुदच्यते। पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते॥

#हम_ये_क्यूं_नहीं_कर_सकते_? उपनिषद' में आया है- ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमुदच्यते। पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते॥ यहाँ जिस पूर्ण की बात हो रही है उसमें ऋषि ईश्वर को देखता है पर मैं इस पूर्ण को 'हिंदुत्व' से निरूपित करता हूँ और मैं ऐसा इसलिये करता हूँ क्योंकि इस पूर्ण से कुछ भी जुड़ गया या इस पूर्ण से कुछ निकल गया तो भी इसका स्वरुप आज तक परिवर्तित नहीं हुआ। इस महासागर से न जाने कितने पंथ निकले, इसके अंदर से कितने मत चल पड़े, कम से कम छह दर्शन विकसित हुये पर इससे न तो इसका मूल स्वरुप बदला और न ही इससे निकलने वाले मत-पंथों और दर्शनों की मूल चिंतन में विकृति आई। 'हिंदुत्व' का मूल दर्शन क्या है? क्यों मैं इसे ही उपनिषद में प्रयुक्त "पूर्ण" के अंदर रखता हूँ? 'हिंदुत्व' का मूल दर्शन है कि 'हरेक रास्ता सत्य की ओर जाता है' और इन सारे रास्तों के समन्यवक का नाम है हिंदुत्व। इसलिये आस्था हमारे धर्म का आधार नहीं है, हमारे धर्म का आधार है 'अनुभूति', जो इसे सबसे अलग कर विशिष्ट बना देता है। जिन लोगों ने अपने आँखों पर 'सेमेटिक दृ...

इन्होंने ORS घोल का आविष्कार किया, जिसने अभी तक न केवल लाखों शिशुओं को निश्चित मृत्यु से बचाया बल्कि बड़े लोगों का भी पूर्ण ख्याल रखा …. 1934 में अविभाजित भारत के तत्कालीन किशोरगंज में पैदा हुए इस विभूति ने भारत में पढ़ाई किया और फिर अनुसंधान किया ….. 1971 के बांग्लादेश मुक्ति के समय जब कालरा बीमारी फैली तो उन्होंने इस घोल से लाखों बांग्लादेशी बच्चों का जीवन बचाया ….  अन्तरराष्ट्रीय अनुसंधान पत्रिका लैंसेट ने इसे बीसवीं सदी की सबसे बड़ी चिकित्सा सफलता करार दिया था … लेकिन नोबेल की तो बात ही छोड़िए, उन्हें कभी भारत का पद्म पुरस्कार भी नहीं मिला …. . वह थे महान डॉक्टर दिलीप महालनोबिस ….. कल कलकत्ता के एक हस्पताल में उनकी मृत्यु हो गई …. ईश्वर इस महान विभूति को अपने चरणों में स्थान दे …. ॐ शान्ति शान्ति …

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इन्होंने ORS घोल का आविष्कार किया, जिसने अभी तक न केवल लाखों शिशुओं को निश्चित मृत्यु से बचाया बल्कि बड़े लोगों का भी पूर्ण ख्याल रखा …. 1934 में अविभाजित भारत के तत्कालीन किशोरगंज में पैदा हुए इस विभूति ने भारत में पढ़ाई किया और फिर अनुसंधान किया ….. 1971 के बांग्लादेश मुक्ति के समय जब कालरा बीमारी फैली तो उन्होंने इस घोल से लाखों बांग्लादेशी बच्चों का जीवन बचाया ….  अन्तरराष्ट्रीय अनुसंधान पत्रिका लैंसेट ने इसे बीसवीं सदी की सबसे बड़ी चिकित्सा सफलता करार दिया था … लेकिन नोबेल की तो बात ही छोड़िए, उन्हें कभी भारत का पद्म पुरस्कार भी नहीं मिला ….   .   वह थे महान डॉक्टर दिलीप महालनोबिस ….. कल कलकत्ता के एक हस्पताल में उनकी मृत्यु हो गई …. ईश्वर इस महान विभूति को अपने चरणों में स्थान दे …. ॐ शान्ति शान्ति … Preserving the most prestigious, सब वेदों का सार, प्रभू विष्णु के भिन्न अवतार...... Shrimad Bhagwad Mahapuran 🕉 For queries mail us at: shrimadbhagwadpuran@gmail.com. Suggestions are welcome! Find the truthfulness in you, get the real you, power up yourself...

वयं पुरोहिता राष्ट्रं जाग्रयामः #hinduism #sanatana #sarv_dharma_brahma

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स्वामी सूर्यदेव जी की वॉल से वयं पुरोहिता राष्ट्रं जाग्रयामः हम पुरोहित हैं,, हम #राष्ट्रदेव को जागृत रखते हैं,, कोई भी राष्ट्र जागृत रहता है उसमें रहने वाली प्रजा से,, वह सोई पड़ी है वह मूढ़ है वह स्वार्थों में घिरी है,,तो आज नहीं कल राष्ट्र भी विपत्तियों में घिर जाएगा,, वेदमन्त्र है--संशितं म इदं ब्रह्म संशितं वीर्यम बलम l संशितं क्षत्रमजरमस्तु जिष्णुर्योंषामस्मि पुरोहित:--३-१९-१ #अथर्ववेद,,--मेरा ज्ञान अत्यंत तीक्ष्ण है,, शत्रुदमन शक्ति और स्वरक्षणबल भी तीक्ष्ण है यानी offensive & defensive system,,, जिन लोगों का मुझ जैसा जयशील अगुआ है,, उन्हें मार्ग दिखाने वाला है,, उनका खुद का यानी मेरे यजमान का भी सामर्थ्य न दबने वाला यानी उग्र यानी आक्रामक यानी #शीलयुक्त प्रतिकार करने का बल उनमें भी होगा ही होगा,, पुरोहित का अर्थ होता है अगुआ,,मार्गदर्शक,, ऐसा मार्ग बताने वाला जो सिर्फ तुम्हारे हित की सोचता है हमेशा,, सदैव तुम्हारा हित चाहता है,,   #वैदिक काल में ऐसे ही #पुरोहित होते थे,, वेदमन्त्र में पुरोहित ललकार कर कह रहा है कि मेरे होते मेरे यजमानों का #पराभव,, पराजय असम्भव है,, ...

सनातन धर्म।।दान का महत्व।।

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स्वामी सूर्यदेव जी की वॉल से वाह क्या प्रश्न पूछा है,,, अभी सप्ताह भर #आगरा में रहकर आया,, अपना काम है जहां जाएं वहां सुबह शाम पार्क में, मंदिर में या अन्य सड़क चौराहे पर लोगो को #वेद उपनिषद शास्त्रों आयुर्वेद आदि के प्रसंग सुनाना और जिज्ञासाओं का समाधान करना,, तो यहां आगरा में भी जहां रुका था वहां सुबह सुबह लोग घूमने आते थे फिर एक घण्टा सत्संग शंका समाधान चलता था,, एक #आर्यसमाजी भाई ने पूछा--महाराज जी समाज बिल्कुल बिगड़ नहीं गया है??अरे जहां दान देना चाहिए वहां देते नहीं जहां नहीं देना चाहिए वहां देते रहते हैं,, आपके क्या विचार हैं?? मैंने पूछा स्पष्ट करिए कहाँ देना चाहिए और नहीं देते??कहाँ नहीं देना चाहिए और देते हैं??   उसने कहा कि #वृद्धआश्रमों में,,अनाथालयों आदि में देना चाहिए वहां नहीं देते और मंदिर में नहीं देना चाहिए वहां देते हैं,,अरे भगवान खुद सबको खिलाने वाले हैं देने वाले हैं उनको भला हम क्या दे सकते हैं?? मैं तुरन्त समझ गया कि यह सवाल इसकी बुद्धि की उपज नहीं है,,यह किसी #वामपंथी लिबरल #कुबुद्धिजीवी कीड़े का प्रश्न है जो उसने लोगो के दिमाग में प्लांट कर दिया है जो इनक...

The Vishnu temple of Angkor Vat itself is 4 times the size of Vatican City !!

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The Vishnu temple of Angkor Vat itself is 4 times the size of Vatican City !!   Agar ye bhi India mai hota toh sab sanskriti ko dafn kr k idher bhi masjid khadi kar di gyi hoti🙏 Angkor Wat (in Khmer language temple of the capital) is a Khmer temple, located in the archaeological site of Angkor, Cambodia, near the city of Siem Reap.  'Angkor' is the dialectal form of the word 'nokor' which derives from the Sanskrit 'nagara' (capital), while 'wat' is the Khmer term for temple. Angkor Wat temple The temple was built by King Suryavarman II (1113-1150).  The king ordered the gigantic construction to start from 4 sides at the same time, so that it was completed in less than 40 years.  The most likely hypothesis is that it is a mausoleum, a place where the king could have been venerated after his death.  In fact, the main entrance is located to the west, as in the funerary temples, and not to the east, as is customary for Hindu temples.  The temple is ...

थाली में क्यों नहीं परोसी जाती हैं 3 रोटियां?इसके पीछे कि क्या वजह है आइए आपको बताते हैं।

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थाली में क्यों नहीं परोसी जाती हैं 3 रोटियां? पढ़ लेंगे तो अबसे नहीं करेंगे ये काम थाली में या तो हम 2 रोटी परोसते हैं या फिर 4, तीन रोटी नहीं परोसी जाती है। इसके पीछे कि क्या वजह है आइए आपको बताते हैं। अक्सर आपने घर के बड़े-बुजुर्गों को कहते सुना होगा कि प्लेट में तीन रोटी मत रखो। कभी भी प्रसाद में तीन फल, तीन मिठाई भी नहीं रखी जाती है। आखिर इसका क्या कारण है? हिंदू धर्म में कई तरह की मान्यताएं हैं, पूजा-पाठ से लेकर खाने-पीने और उठने-बैठने तक हर चीज का एक नियम एक कायदा होता है, जो हमारी संस्कृति में है और हमें अपने बुजुर्गों से सुनने को मिलता है। कई चीजें शुभ होती हैं और कई चीजें अशुभ। ऐसे ही 3 को शुभ नहीं माना जाता है। थाली में या तो हम 2 रोटी परोसते हैं या फिर 4, तीन रोटी नहीं परोसी जाती है। इसके पीछे कि क्या वजह है आइए आपको बताते हैं। मान्यता है कि थाली में 3 रोटी रखना यानी कि मृतक का भोज लगाना। आपने देखा होगा कि त्रयोदशी संस्कार में जब थाली लगाई जाती...