सनातन-संस्कृति में अन्न और दूध की महत्ता पर बहुत बल दिया गया है !

सनातन-संस्कृति में अन्न और दूध की महत्ता पर बहुत बल दिया गया है !



सनातन धर्म के आदर्श पर चल कर बच्चों को हृदयवान मनुष्य बनाओ।


Why idol worship is criticized? Need to know idol worshipping.


तंत्र--एक कदम और आगे। नाभि से जुड़ा हुआ एक आत्ममुग्ध तांत्रिक।

क्या था रावण की नाभि में अमृत का रहस्य?  तंत्र- एक विज्ञान।।

जनेऊ का महत्व।।


आचार्य वात्स्यायन और शरीर विज्ञान।


सनातन-संस्कृति में अन्न और दूध की महत्ता पर बहुत बल दिया गया है !


अन्न को अमृत और औषधि बताया गया !


घर में देखा था;  बड़े-बूढों को भोजन के बाद भोजन की थाली उंगलियो से साफ़ करके चाटते हुए;  उसके बाद भी क्षमा का एक श्लोक बोला जाता था ; जिसका अर्थ होता था -

मेरी अंगुलियो के पोछने के बाद भी थाली में जो अन्न कणिकाएं बची रह गई हैं ,वे उन-उन कीट-पतंगों को मिलें जिनके लिए ये छूट रहीं हैं।

दूध या लस्सी पीने के बाद गिलास में पानी डाल कर खंगाल कर पीने का शास्त्रीय विधान है !

मुझे याद है अभी कुछ दिनों पहले तक बनारस के ठठेरी बाज़ार में एक पंडितजी - घंसू महाराज - बड़े प्रेम से लोगों को लस्सी पिलाते थे अपनी दूकान पर !

विधि उपरोक्त हुआ करती थी !  
यानि लस्सी पीने के बाद पुरवे को उंगलियो से साफ़ करके चाट जाना फिर थोडा पानी डाल- खंगाल कर पी जाना !

कदाचित किसी ने लस्सी पी कर कुल्ल्हड सीधे नाली में फेंक दिया तो फिर  वह कितना ही बड़ा तीस मार खां क्यों न हो - घंसू महराज के श्रीमुख से जो बनारसी प्रसाद निकलता था कि पूछिये मत !

#@###@@@@## तेरे बाप ने भी कभी लस्सी पी है ###@@@####@@

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दूध और अन्नपूर्णा की पूजा करने वाली संस्कृति को कुछ उल्लू के घोड़े दूधकी महत्ता सिखा रहे हैं !!

भाईश्री सोमदत्त जी के वॉल से



Find the truthfulness in you, get the real you, power up yourself with divine blessings, dump all your sins...via... Shrimad Bhagwad Mahapuran🕉

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